टोंस नदी पर धड़ल्ले से हाे रहा अवैध खनन

चमेल सिंह देसाईक । शिलाई

हिमाचल व उत्तराखंड की सीमा टोंस नदी पर मीनस व ज्योंग में रेत, बजरी का अवैध खनन रुकने का नाम नही ले रहा हैं।शिकायतों पर वन विभाग ने दबिश भी दी। जुर्माना भी किया, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। नदी के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगो में जगदीश चौहान, सुरेंद्र भंडारी, दलीप सिंह, नरेश कुमार, वीरेंद्र सिंह, अत्तर सिंह, रमेश कुमार व सतीश कुमार ने बताया कि ज्योंग पुल के समीप नदी के किनारे देर रात्रि से लेकर सुबह 4 तक अवैध खनन चला रहता है।

अवैध खनन के चलते धूल मिट्टी, दिन-रात ट्रैक्टरों की आवाजाही से लोग परेशान हैं। हिमाचल क्षेत्र ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य के जिला देहरादून से दर्जनों ट्रेक्टर नदी के तटो से अवैध रूप में रेत व बजरी भरते हैं। परेशान ग्रामीणों द्वारा सरकार से गुहार लगाने के बाद भी अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। माशु च्योग मार्ग पर दो किलोमीटर तक अवैध खनन माफियाओं के स्टॉक यार्ड बने हुए हैं। रेत व बजरी के ढेर पिछले कई वर्षों से लगे हैं, लेकिन लोक निर्माण विभाग, वन विभाग व खनन विभाग के साथ साथ पुलिस व जिला प्रशासन आंखे मूंदे बैठे हैं।

दीगर रहे कि खनन माफियाओं पर खनन इंस्पेक्स्टर की पोस्ट अतिरिक्त होती है तथा अवैध खनन पर रोक व निगरानी करना इंस्पेक्टर का उद्देश्य होता है, लेकिन क्षेत्र में इन्स्पेक्टर के माध्यम से केवल उसी खनन माफिया पर कार्यवाही होगी, जो संबंधित विभाग को घुस नहीं देता हो, यदि घुस बराबर जा रही होती है, तो बहाना बताया जाता है कि क्षेत्र बहुत बड़ा है। इसलिए सही से देखरेख करना मुश्किल है।

कफोटा वन परिक्षेत्र अधिकारी महेंद्र सिंह ने बताया कि वैसे तो हमारे पास स्टाफ की कमी है, जब विभाग ने इन्हें रंगे हाथों पकड़ने का प्रयास किया, तो खनन माफियाओं को पहले खबर मिल जाती है। हालांकि विभाग ने कई बार अवैध खनन करते लोगो को रंगे हाथों भी पकड़ा और जुर्माना भी किया है। उधर, लोक निमाण विभाग मंडल शिलाई के अधिशाषी अभियंता प्रमोद कुमार उप्रेती ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर ज्योंग पुल के साथ सड़क में लगाए गए रेत व पत्थरो के ढेर को हटाने के आदेश दिए जाएंगे।