भारत-इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंध के साथ पश्चिम एशिया में नए समीकरण बनाता हिंदुस्तान

उज्जवल हिमाचल डेस्क…

भारत और इजरायल के संबंधों को मजबूती देने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इजरायल के पांच दिवसीय दौरे पर गए थे। यह दौरा काफी महत्वपूर्ण साबित होता दिखा। दूसरी तरफ यह इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ था क्योंकि भारत के विदेश मंत्री बनने बाद एस जयशंकर का पहला दौरा था। इस दौरे के दौरान इजरायल भारत के साथ एक रणनीतिक साझेदार की भूमिका निभाता दिखा है। एक ऐसा सामरिक साझेदार जिसने भारत के इंटरनेशनल सोलर अलायंस से जुड़ने का निर्णय भी कर लिया है ताकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर साझेदारी को बढ़ावा दिया जा सके। एक ऐसा आर्थिक साझेदार जिसने भारत के साथ लंबित मुक्त व्यापार समझौते से जुड़ी वार्ता को पुनः शुरू करने के भारत के प्रस्ताव पर गर्मजोशी के साथ हामी भर दी है।

एक ऐसा हेल्थ पार्टनर जिसने इस बात के लिए भी सहमति दे दी है कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवा चुके भारतीय यात्रियों को इजरायल आने दिया जाएगा और इसी के साथ कोविड रोधी वैक्सीन सर्टिफिकेट पर दोनों देशों के बीच एक पारस्परिक मान्यता समझौता भी हुआ है। ये सभी समझौते और साझेदारियां भारतीय विदेश मंत्री की इजरायल यात्र की देन हैं, लेकिन इस यात्रा के दौरान जो सबसे बड़ी साझेदारी देखने को मिली है उसका कुछ अलग ही सामरिक आर्थिक महत्व है। दरअसल पिछले साल अब्राहम एकार्ड के जरिये अमेरिका ने इजरायल और यूएई के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वहीं हाल के वर्षो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विस्तारित पड़ोस की नीति के तहत संयुक्त अरब अमीरात को भारत अपना पड़ोसी घोषित कर चुका है। भारतीय विदेश मंत्री ने कुछ समय पहले अपनी यूएई यात्रा के दौरान भी इसका जिक्र किया था और अब जब पश्चिमी एशिया के लिए एक नए क्वाड समूह को बनाने की बात सामने आ गई है तो इससे इन चारों देशों में एक विशेष संपर्क विकसित हुआ है।