माफ किए जाएं कूड़े के बिल, नागरिक सभा ने मेयर को सौंपा ज्ञापन

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

कूड़े के बिलों को माफ करने के मुद्दे पर शिमला नागरिक सभा का प्रतिनिधिमंडल नगर निगम शिमला के महापौर व उप महापौर से मिला व उन्हें इस संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा।

नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मार्च से अगस्त के छः महीनों में कोरोना महामारी के कारण शिमला शहर के सत्तर प्रतिशत लोगों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से चला गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला ने कोरोना काल में आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुई जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी है। शिमला शहर में होटल व रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया है। इसके कारण इस उद्योग में सीधे रूप से कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गयी है। पर्यटन का कार्य बिल्कुल खत्म हो गया है। इसके चलते शिमला शहर में हज़ारों टैक्सी चालकों,कुलियों,गाइडों,टूअर एंड ट्रैवल संचालकों आदि का रोज़गार खत्म हो गया है। इस से शिमला में कारोबार व व्यापार भी पूरी तरह खत्म हो गया है क्योंकि शिमला का लगभग चालीस प्रतिशत व्यापार पर्यटन से जुड़ा हुआ है व पर्यटन उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है।

 

हज़ारों रेहड़ी फड़ी तहबाजारी व छोटे कारोबारी तबाह हो गए हैं। दुकानों में कार्यरत सैंकड़ों सेल्जमैन की नौकरी चली गयी है। विभिन्न निजी संस्थानों में कार्यरत मजदूरों व कर्मचारियों की छंटनी हो गयी है। निजी कार्य करने वाले निर्माण मजदूरों का काम पूरी तरह ठप्प हो गया है। फेरी का कार्य करने वाले लोग भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। ऐसी स्थिति में शहर की आधी से ज्यादा आबादी को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है।

ऐसी विकट परिस्थिति में प्रदेश सरकार व नगर निगम से जनता को आर्थिक मदद की जरूरत व उम्मीद थी परन्तु इन्होंने जनता से किनारा कर लिया है। जनता को कूड़े के हज़ारों रुपये के बिल थमा दिए गए हैं। हर माह जारी होने वाले बिलों को पांच महीने बाद जारी किया गया है। उपभोक्ताओं को कूड़े के बिल हज़ारों में थमाए गए हैं जिस से घरेलू लोग तो हताहत हुए ही हैं परन्तु कारोबारियों व व्यापारियों पर पहाड़ जैसा बोझ लाद दिया गया है। ऐसी परिस्थिति में नगर निगम शिमला व प्रदेश सरकार को मार्च से अगस्त 2020 के कूड़े के बिल पूरी तरह माफ कर देने चाहिए व जनता को राहत प्रदान करनी चाहिए।