हिमाचल में बढ़ता जा रहा लंपी वायरस का कहर, इतने पशुओं की मौत

उज्जवल हिमाचल। शिमला

कोविड से जूझ रही दुनिया में मंकी पॉक्स के बाद अब एक और दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं। चमवेशियों में फैलने वाले इस रोग का नाम लंपी स्किन डिजीज बताया जा रहा है। हालांकि भारत में पहली बार इस रोग के मामले दर्ज किए गए हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है ये रोग और कैसे फैल रहा है।

कैसे फैलता है लंपी वायरस….

लंपी वायरस मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों के कारण फैलता है। जिसे ’गांठदार त्वचा रोग वायरस’ कहते हैं। यह मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के माध्यम से फैलता है।

लंपी वायरस के लक्षण….

जानवरों में बुखार आना, आंखों एवं नाक से स्राव, मुंह से लार निकलना, पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ना, दूध उत्पादन में कमी आना और भोजन करने में कठिनाई इस बीमारी के लक्षण हैं। इसके अलावा इस रोग में शरीर पर गांठें बन जाती हैं। गर्दन और सिर के पास इस तरह के नोड्यूल ज्यादा दिखाई देते हैं। कई दफा तो ये भी देखा जाता है कि इस रोग के चलते मादा मवेशियों में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है।

हिमाचल में लंपी वायरस से इतने पशुओं की मौत…..

हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरस से अब तक 23,886 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इनमें से 513 पशुओं को इस बीमारी से जान गंवानी पड़ी है। वहीं, 5630 जानवर ठीक हुए हैं। अब भी प्रदेश में लंपी वायरस के 18, 256 सक्रिय मामले हैं। प्रदेश के ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि पशुधन में लम्पी चर्म रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में अभी तक लगभग 50 हजार पशुओं का टीकाकरण किया गया है।

क्या कहते हैं पशुपालन मंत्री?

पशुपालन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में इस रोग की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि रोग को नियंत्रित करने के लिए कन्टेनमेंट जोन स्थापित किए गए हैं और रोग से ग्रसित पशुधन को अलग कर इस रोग को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के माध्यम से प्रचुर मात्रा में दवाएं इत्यादि उपलब्ध करवाई गई हैं। उन्होंने कहा कि विभाग के पास वर्तमान में टीके की 1,19,591 खुराकें उपलब्ध हैं और आवश्यकता पड़ने पर खुले बाजार से भी दवा अथवा टीका खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में अभी तक लम्पी चर्म रोग से ग्रसित 5,630 पशु स्वस्थ हो चुके हैं और गत दिवस तक राज्य में 18,256 सक्रिय मामले थे। उन्होंने कहा कि अभी तक इस रोग से ग्रसित 513 पशुधन की मौत की सूचना है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग इस रोग की रोकथाम के लिए पूरी तत्परता के साथ कार्य कर रहा है।