समग्र मनरेगा कार्यक्रम बनेगा कोरोना में रोजगार खोने वालों का सहारा

उज्जवल हिमाचल। ऊना

कोविड-19 वायरस के चलते चुनौतियों का सामना कर रहे बहुत से लोगों के लिए समग्र मनरेगा कार्यक्रम नया जीवन लेकर आया है। वैश्विक महामारी में दूसरे राज्यों से वापस ऊना आए लोगों के लिए समग्र मनरेगा कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसमें सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में ग्रामीण क्षेत्रों में खेती, बागवानी, पशु-पालन व मत्स्य पालन इत्यादि व्यावसायिक गतिविधियों को सुदृढ़ करने हेतु व्यक्तिगत कार्यों को समग्र मनरेगा कार्यक्रम के दायरे में लाया जाएगा। विकास खंड स्तर पर बीडीओ सक्रिय रूप से सभी लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित बनाएंगे ताकि कोरोना काल में अपना रोजगार खो चुके लोगों को राहत मिल सके। समग्र मनरेगा कार्यक्रम के अन्तर्गत निजी भूमि के सुधार हेतु, मिट्टी पत्थर का बांध व भूमि समतलीकरण के कार्य के लिए एक लाख रूपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा खेती-बागवानी के लिए फलदार, औषधीय, पशुचारे, शहतूत पौधारोपण के लिए एक लाख रूपए की आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी। जबकि वर्षा जल संग्रहण टैंक के निर्माण के लिए डेढ़ लाख व मत्स्य पालन हेतु तालाब के निर्माण के लिए एक लाख रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।

पशुपालन में गौशाला, बकरी शैड व पोल्ट्री शैड के निर्माण के लिए 10 हजार तथा शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रूपये की सहायता राशि प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इस संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य सक्रिय रूप से लाभार्थियों तक मनरेगा का लाभ पहुंचाना है। प्रत्येक चरण का कार्य समयावधि में पूर्ण करने का उत्तरदायित्व संबंधित बीडीओ का होगा। बीडीओ चालू वित्त वर्ष के दौरान प्रत्येक पंचायत में कम से कम 30 नए व्यक्तिगत कार्य मनरेगा समग्र के अंतर्गत सभी औपचारिक्ताएं पूर्ण करने के उपरांत शुरू करवाएगा। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा में कम से कम 20 कार्य दिवस अर्जित करने वालों को प्राथमिकता के तौर पर सेचुरेशन मोड पर रखा गया है। इसके लिए लाभार्थी ग्राम पंचायत व खंड विकास अधिकारी के कार्यालय में चयनित भूमि का पर्चा, ततीमा, कार्य आरंभ होने से पहले की फोटो तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ आवेदन कर सकता है। दस्तावेजी औपचारिक्ताओं को पूरा करने हेतु अधिकारियों के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है, जिसके अन्तर्गत आवेदन प्राप्त होने के उपरांत 20 दिन तक सभी औपचारिक्ताएं पूर्ण कर स्वीकृति देनी होगी। इसके अलावा आवेदनकर्ता किसी भी स्तर पर सहयोग न मिलने अथवा अकारण मनरेगा के अन्तर्गत लाभ न देने की शिकायत टोल फ्री नंबर 1100 पर शिकायत कर सकता है।

उपायुक्त राघव शर्मा ने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत स्वीकृत हर कार्य को चालू वित्त वर्ष में पूरा करना अनिवार्य बनाया गया है। मनरेगा समग्र के अन्तर्गत उन सभी कार्यों की अनुमति होगी जो व्यक्तिगत कार्यों के अन्तर्गत मनरेगा में स्वीकृत हैं। इसके अतिरिक्त उन कार्यों को भी किया जा सकेगा, जहां किसानों व बागवानों का समूह लाभान्वित हो रहा हो, जैसे लघु सिंचाई परियोजना। जिला प्रशासन की इस पहल से भूमि सुधार, बागवानी, कृषि, नर्सरी, मुर्गी पालन, पशु पालन इत्यादि कृषि संबद्ध कार्यों में लोगों को अवश्य रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे तथा कोरोना काल में उपजी बेरोजगारी की समस्या से भी कुछ सीमा तक निपटा जा सकेगा।