करसोग के पूर्व विधायक मस्तराम ने फंदा लगाकर दी जान, सुसाइड नोट बरामद

उमेश भारद्वाज। मंडी
मंडी जिला के करसोग विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस पार्टी के विधायक रह चुके मस्त राम ने नगर परिषद सुंदरनगर के एक होटल में पंखे से फंदा लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलते ही प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। मामले की सूचना होटल के मालिक द्वारा पुलिस थाना को दी गई। इसके उपरांत जांच के लिए डीएसपी सुंदरनगर दिनेश कुमार के नेतृत्व में होटल पहुंची पुलिस थाना बीएसएल कॉलोनी और सुंदरनगर की टीमों ने मौके से सुसाइड नोट बरामद किया है।
पुलिस द्वारा मामले में आरएफएसएल मंडी की फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाकर जांच अमल में लाई गई है। मृतक मस्तराम(70) के शव को पुलिस द्वारा कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज नेरचौक में करवाया गया है। वहीं घटना की सूचना मिलने पर एसडीएम सुंदरनगर धर्मेश रामोत्रा भी मौके पर मौजूद रहे। घटना की सूचना मिलने पर मौके पर प्रदेश भाजपा महामंत्री राकेश जंवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी सोहन लाल ठाकुर, पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने हालात का जायजा लिया और परिवार को सांत्वना दी। मामले पुलिस की जांच जारी है और पोस्टमार्टम व साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन की रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक मस्तराम ने उनकी पत्नी निर्मला चौहान को 2 दिन पहले फोन के माध्यम से उनके पुश्तैनी घर निहरी जाने की जानकारी दी थी। इसके उपरांत मस्तराम का फोन बंद आ रहा था और शिमला में मौजूद उनकी पत्नी और बेटे ने बार-बार फोन भी किया, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ ही आता रहा। मृतक मस्तराम का फोन लगातार बंद आने पर भी परिवार को किसी अनहोनी का शक इसलिए नहीं हुआ क्योंकि अक्सर अपने पैतृक घर निहरी आने पर वे फोन बंद कर देते थे।
मामले में पुलिस ने होटल स्टाफ के बयान भी दर्ज किए। पुलिस के अनुसार पूर्व विधायक रविवार शाम को होटल में रहने पहुंचे थे। होटल की रिसेप्शन पर उन्होंने एंट्री के समय अपने आप को शिक्षक बताया था। सोमवार सुबह 10:30 बजे चाय पी, जिसके बाद वह कमरे से बाहर नहीं निकले। एक बजे होटल का कर्मचारी कमरे में गया तो उसने पूर्व विधायक को फंदे से लटका हुआ पाया। कमरे को अंदर से किसी भी प्रकार की चिटकनी नहीं लगी हुई थी और कागज को दरवाजे पर फंसा कर बंद किया गया था।
बता दें कि 16 सितंबर 1946 को जन्मे पूर्व विधायक मस्तराम ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखें हैं।बीते लगभग 50 वर्षों से मस्तराम कांग्रेस पार्टी के झंडाबरदार रहे हैं। मस्तराम वर्ष 1993 और 2003 में एक बड़ी बढ़त से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर करसोग विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनावों में भी मस्तराम कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रबल उम्मीदवार बताए जा रहे थे। मस्तराम ने वर्ष 1982 में शिक्षक के पद को छोड़कर राजनीति में कदम रखा और अपने राजनीतिक सफर में कई चुनावों में भाग्य अजमाया है।
पूर्व विधायक मस्तराम की दूसरी पत्नी निर्मला चौहान भी करसोग विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की ओर से टिकट की दौड़ में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। निर्मला चौहान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सचिव और करसोग के जिला परिषद वार्ड बगशाड़ से बतौर पूर्व जिला परिषद सदस्य भी रह चुकी हैं। निर्मला चौहान
द्वारा मस्तराम को हर राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रम में साथ रखकर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की ओर से अपनी दावेदारी भी जताई गई है।
पूर्व विधायक मस्तराम से बरामद सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए उन्होंने खुद को जिम्मेदार ठहराया है। सुसाइड नोट में विधायक ने लिखा है कि उनकी मौत के लिए मेरे परिवार और होटल वालों को परेशान न किया जाए। अपनी मौत के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि उनके पास जो 7 हजार रुपये नकदी है, वह उनकी पत्नी निर्मला को दे दी जाए।
पूर्व विधायक ने सुसाइड नोट में लिखा है कि अगर उनके कारण किसी भी प्रकार का कोई खर्च आए तो उनके परिवार से खर्च लिया जाए। इसके साथ विधायक ने सुसाइड नोट में प्रसाशन से आग्रह किया है कि उनके इस कदम को लेकर उनके परिवार और होटल के मालिक को तंग ना किया जाए।