SFI विश्वविद्यालय इकाई ने परीक्षा सम्बन्धी मुद्दों को लेकर DS को सौंपा ज्ञापन

उज्जवल हिमाचल। शिमला

एसएफआई लंबे समय से पीएचडी में हो रही धांधलियों का विरोध करती आई है परन्तु प्रशासन पूरी तरह से आंखे मूंदे बैठा है। जो प्रोफेसर पीएचडी करना चाहते है उनके लिए हर विभाग में एक सुपरनुएमरी सीट है जिसमें बिना एंट्रेंस टेस्ट करवाए व बिना सीट्स एडवर्टाइज किए प्रवेश करवाए जा रहे है।

अभी पीएचडी में इस सीट के माध्यम से बहुत से ऐसे टीचर पीएचडी कर रहे है जो यूजीसी के नियमों को दरकिनार करते हुए प्राइवेट कॉलेज के अंदर पढ़ाते है तथा पीएचडी करने के लिए नियम एवं शर्तो को पूरा नहीं करते है। विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष ईसी (EC) की मीटिंग में यह प्रस्ताव पारित करवाया गया जिसमें विश्वविद्यालय के टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ के बच्चों के लिए एक सुपरनुएमरी सीट्स की व्यवस्था की गई है जिसमें बिना एडवर्टाइज व बिना एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट करवाए पीएचडी में एडमिशन करवाई गई।

इसमें विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी व वर्तमान राज्यसभा सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार के बेटे की एडमिशन भी एमसीए विभाग में हुई। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
इसके अलावा विश्वविद्यालय के कई विभागों में सहुलत्त के अनुसार सीट बढ़ा दी जाती है जबकि कुछ डिपार्टमेंट में स्टैंडिंग कमेटी की रिकमेंडेशन के बावजूद भी सीटों में बढ़ोतरी नहीं की जाती है।

डीन ऑफ़ स्टडी ने आश्वासन देकर कहा कि इस बार पीएचडी में होने वाली एडमिशन को एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर की जाएगा व यूनिवर्सिटी ऑडिनंस और यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार ही पीएचडी में प्रवेश मिलेगा। एसएफआई इकाई अध्यक्ष रॉकी ने कहा है कि अगर बिना एंट्रेंस टेस्ट पास किए पीएचडी में प्रवेश मिलता रहेगा तो कहीं न कहीं उन छात्रों के साथ धोखा होगा जो दिन रात पुस्तकालय के अंदर मेहनत कर रहा है।

उन्होंने कहा है कि पीएचडी में दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही होनी चाहिए । इकाई सचिव विवेक राज ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द ऐसे फरमान को नहीं रोका गया तो एसएफआई कोर्ट का दरवाजा खटकाने में कोई गुररेज नहीं करेगी व छात्रों को लामबंद करते हुए उग्र आंदोलन की ओर जाएगी।