5 वर्षीय बच्चे के घटनाक्रम के लिए नगर निगम व वन विभाग जिम्मेदार : नागरिक सभा

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

शिमला नागरिक सभा ने गत दिनों शिमला के डाउनडेल क्षेत्र से तेंदुए द्वारा पांच वर्षीय बच्चे की जान लेने के घटनाक्रम के लिए नगर निगम शिमला व वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह नगर निगम शिमला व वन विभाग को सख्त निर्देश दे कि इस तरह के हादसों पर रोक लगाने के लिए तुरंत सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि इसकी पुनरावृति न हो व शिमला शहर के नागरिकों को जंगली जानवरों के हमलों से बचाया जा सके। नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पिछले कुछ महीनों में तेंदुए के हमले का शिकार हुए दो बच्चों के परिजनों को कम से कम दस-दस लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाए।

शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सचिव कपिल शर्मा ने शिमला शहर के बीचों-बीच इस तरह के हादसों पर हैरानी व्यक्त की है व इसे पूर्णतः नगर निगम शिमला व वन विभाग की नाकामयाबी करार दिया है। उन्होंने कहा कि डाउनडेल शहर के बीचों-बीच है। जब इस तरह की घटना यहां पर हो सकती है, तो फिर शिमला शहर के इर्द-गिर्द के क्षेत्राें में नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा की, तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस से साफ है कि शिमला नगर निगम व इसके इर्द-गिर्द के क्षेत्र में कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं है।

सबसे हैरानी की बात यह है कि डाउनडेल, नाभा, फागली व कनलोग जैसे शहर के रिहायशी क्षेत्राें में तेंदुए बेखौफ घूम रहे हैं और वन विभाग संवेदनहीन वक्तव्य जारी करने व लीपापोती के सिवाए कुछ भी नहीं कर रहा है। अगर कनलोग में अगस्त के महीने में बच्ची को तेंदुए द्वारा उठाने की घटना को वन विभाग ने गंभीरता से लिया होता, तो डाउनडेल की यह घटना नहीं होती। नगर निगम भी नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है। शहर के रिहायशी इलाकों में या तो स्ट्रीट लाइटें कई महीनों से खराब पड़ी हैं या फिर हैं ही नहीं। इन दोनों की लापरवाही का खामियाजा निर्दोष जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि उक्त घटनाक्रम पर नगर निगम शिमला व वन विभाग की भूमिका संवेदनहीन रही है।

शिमला शहर में पिछले तीन महीनों में तेंदुआ दो बच्चों की जान ले चुका है, परंतु वन विभाग तेंदुए को आदमखोर घोषित करने में आनाकानी कर रहा है। उक्त घटनाक्रम में शिमला शहर जोकि प्रदेश की राजधानी भी है में डॉग स्क्वाड टीम भी तीसरे दिन भूमिका में आई। इसी से पता चलता है कि शिमला शहर जैसी जगह में भी सुरक्षा व छानबीन के न्यूनतम प्रबंध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कनलोग व डाउनडेल में तेंदुए के हमलों का शिकार हुए दोनों बच्चों के हादसों में एक समानता यह है कि ये घटनाक्रम गरीब बस्तियों में हुए जहां पर स्ट्रीट लाइटों व अन्य सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण तेंदुए को ये हमले करने का मौका मिला। इसलिए नगर निगम भी ऐसे हादसों से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता है।