नई शिक्षा नीति की तर्ज पर बने राष्ट्रीय रोजगार नीति

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

कोरोना महामारी देश में लगभग एक करोड़ नब्बे लाख नौकरियों को लील चुकी है। कोविड-19 संक्रमण से पहले ही बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी। देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के अन्तर्गत 28 लाख पद खाली चल रहे हैं। नतीजतन बेरोजगारी की विभीषका भयावह रूप धारण कर रही है। देश के युवाओं को भरोसा दिलाया गया था कि हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा होगी जो अब तक 12 करोड़ हो चुकी होती। परंतु तस्वीर बिल्कुल विपरीत है। ऐसे में कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां सटीक व प्रासंगिक हैं कि ;

कहां तो तय था चिरागां हर एक घर के लिए , 
कहां चिरागं मयस्सर नहीं पूरे शहर के लिए।

यह बहुत बड़ी विडंबना है कि भारत सरकार ने पिछले छः साल में कितनी नौकरियां दी इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं की है जबकि उज्जवला योजना के तहत दिए सिलेंडर, मुद्रा योजना के अंतर्गत कितनों को वितरित किया गया ऋण, स्वच्छता अभियान के तहत निर्मित शौचालय के आंकड़े जारी किए गए हैं। यह शब्द हिमाचल प्रदेश स्कूल लेक्चरर यूनियन के पूर्व राज्य अध्यक्ष व रिटायर्ड प्रिंसिपल कल्याण भंडारी ने प्रैस विज्ञप्ति में कहे। उन्होंने और जानकारी देते हुए बताया कि लॉकडाउन के दौरान अपना रोजगार खो चुके लोगों के पंजीकरण के लिए भारत सरकार के कौशल विकास मंत्रालय द्वारा ASEEM वेब पोर्टल यानि“ आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्र “ लॉन्च किया, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री ने 11 जुलाई 2020 को किया।

इसका मकसद जरूरतमंद लोगों को पुनः रोजगार प्रा्ति में मदद करना था, परंतु 21 अगस्त तक सात लाख पंजीकृत लोगों में न के बराबर रोज़गार मिल पाया है। अप्रैल- मई 2020 के कालखंड में न्यू पेंशन योजना में 45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। फलस्वरूप बेरोजगारी विस्फोटक स्तर तक पहुंच चुकी है। ऐसे में जरूरत है एक राष्ट्रीय रोजगार नीति की जिससे मुल्क में रोजगार मुहैया करा जा सके। केवल नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन करने से कुछ हासिल नहीं होगा। नई शिक्षा नीति की तरह “नेशनल एम्प्लॉयमेंट पॉलिसी“ (NEP) समय की मांग है।