लोक संपर्क विभाग की जिम्मेदारी तय करें मुख्यमंत्री : रणेश राणा

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्टस (इंडिया) की गुहार: मान्यता देने के मामले लंबे अरसे से लटके, पत्रकार हो रहे परेशान

उज्जवल हिमाचल। कांगडा

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्टस (इंडिया) के प्रदेशाध्यक्ष रणेश राणा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि प्रदेश में कार्यरत पत्रकारों की छोटी-बड़ी समस्याओं को हल करने में लोक संपर्क विभाग का घोर उदासीन रवैया अब हद से गुजर चुका है। आलम यह है कि प्रदेश भर में पत्रकार लोक संपर्क विभाग के रवैये से बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष में पत्रकारों को मान्यता देने में लगातार आनाकानी व टालमटोल की जा रही है। इस संदर्भ में जब आरटीआई के माध्यम से हमारी यूनियन ने यह जानने की कोशिश की गई कि बीते वर्ष में कितने पत्रकारों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था औन कितने पत्रकारों को मान्यता दी गई है, तो उसके जवाब में निदेशालय लोक संपर्क विभाग से जवाब मिला कि गोपनीयता के चलते यह जानकारी देना संभव नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष रणेश राणा, उपाध्यक्ष गोपाल दत्त शर्मा, सतीश शर्मा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जेडी आर्य, सुमित शर्मा, हरदेव भारद्वाज, विशाल आनंद व दिनेश कंवर ने सरकार से जानना चाहा है कि इस मामले में क्या गोपनीयता है, सरकार स्पष्ट करे? उन्होंने कहा कि प्रदेश भर से पत्रकारों से मिली प्रतिक्रिया के मुताबिक छोटी-छोटी चीजों को लेकर बार बार पत्रकारों के दस्तावेज वापस किए जा रहे हैं। जो कि पूरी तरह से गलत व अन्याय है। राज्य सरकार ने लोक सेवा गांरटी योजना के तहत हर काम के ज्यादा से ज्यादा 21 दिन तय किए हैं, लेकिन लोक संपर्क विभाग में यह लागू नहीं होते।

अधिकारी बोले:  मान्यता देना विभाग पर निर्भर, पत्रकारों का अधिकार नहीं

रणेश राणा ने कहा कि लोक संपर्क विभाग का यह रवैया पत्रकारों के हितों पर कुठाराघात है जिसकी जवाबदेही व जिम्मेदारी फिक्स की जानी जरूरी है। मान्यताा के मामले क्यों लटके इसको लेकर एनयूजे आई 23 जनवरी को प्रदर्शन करेगी। रणेश राणा ने आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री पत्रकारों की इस समस्या पर व्यक्तिगत तौर पर ध्यान दें व स्पष्ट करें कि आखिर विभाग इस तरह का रवैया क्यों अपनाए हुए है। उन्होंने कहा कि लोक संपर्क विभाग का यही रवैया रहा तो इसका खामियाजा निश्चित तौर पर सरकार को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि समझ में यह नहीं आ रहा है कि लोक संपर्क विभाग पत्रकारों की समस्याओं को हल करने के लिए है या उनकी दिक्कतें बढ़ाने के लिए है। राणा ने कहा कि जब टेलीफोनिक्ली पत्रकारों की समस्याओं को लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी आईपीआर या डायरेक्टर लोक संपर्क विभाग से बात करके लोक संपर्क विभाग के जिला अधिकारी को समस्या बारे बताया जाता है तो जिला अधिकारियों का दो टूक जवाब रहता है कि काम बाबुओं ने करना होता है, प्रिंसिपल सेक्रेटरी व डायरेक्टर ने नहीं। हमें ऊपर से जो आदेश होते हैं उसी के अनुसार कार्रवाई होती है। जिससे पत्रकार जगत में सरकार के प्रति अविश्वास व असंतोष निरंतर बढ़ता जा रहा है। राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री इस मामले में निजी तौर पर दखल देकर विभाग की जवाबदेही व जिम्मेदारी फिक्स करे कि आखिर मान्यता बारे लोक संपर्क विभाग को समस्या क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार यह भी स्पष्ट करे कि विभाग पत्रकारों के लिए है या विभाग के लिए पत्रकार हैं।

सैलरी स्लिप लगाई तो बोले कालम में नहीं लिखा

हमीरपुर के एक पत्रकार का मान्यता प्राप्त का आवेदन सिर्फ इसलिए लंबित है कि क्योंकि उन्होने यह नहीं लिखा कि कितना वेतन मिलता है, लेकिन साथ में सैलरी स्लिप लगी है तो उसको कोई औचित्य क्यों नहीं रह जाता है। इस विषय में संयुक्त निदेशक व जन सूचना अधिकारी लोक संपर्क विभाग ने कहा कि मान्यता देना विभाग के विवेक पर निर्भर करता है यह पत्रकार का अधिकार नहीं है। कई बार दस्तावेज अधूरे होते हैं तो कई बार औपचारिकताएं पूरी नहीं होती। मान्यता प्राप्त कमेटी की बैठक लंबे समय से नहीं हुई है।

सीएम के ध्यान में लाया जाएगा मुददा

इस विषय में एनयूजे (आई) के प्रदेश सह मीडीया प्रभारी रोहित गोयल ने कहा कि पूरे मामले की शिकायत सीम से की जाएगी। वहीं राज्य प्रवक्ता श्याम लाल पुंडीर ने कहा कि मान्यता देने के लिए कमेटी की कोई जरुरत नहीं होनी चाहिए बल्कि यह काम निदेशक स्तर का हो। बिना वजह की कमेटी बनाकर सरकारें पत्रकारों को मानसिक तौर पर परेशान कर रही है।