नई शिक्षा नीति विषय पर वेबीनार का आयोजन

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में नई शिक्षा नीति (समग्र शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में एक कदम ) विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ कुलदीप अग्निहोत्री, उपकुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला हिमाचल प्रदेश एवं डॉ अमरजीत शर्मा, निदेशक उच्च शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश उपस्थित रहे। सबसे पहले डीएवी कॉलेज कांगड़ा की प्रोफेसर अनीता बोहरा एवं डॉ देवव्रत अवस्थी ने मुख्य वक्ताओं एवं सभी उपस्थित प्रतिभागियों का मौखिक स्वागत किया। आज के इस वेबीनार का मुख्य उद्देश्य था, नई शिक्षा नीति किस तरह से भारत को श्रेष्ठता की ओर ले जाने में सक्षम है।

इसी संदर्भ में मुख्य वक्ता डॉ कुलदीप अग्निहोत्री ने मातृभाषा का महत्व समझाते हुए कहा कि मेकॉले द्वारा बनाई गई शिक्षा नीति में हम भारतीयों को अनुकरण करना सिखाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि दयानंद सरस्वती ने डीएवी के माध्यम से आधुनिकता एवं परंपरागत शिक्षा को एक साथ चलाने का कार्य किया। नई शिक्षा नीति के महत्व को बताते हुए डॉ अग्निहोत्री ने कहा की नई शिक्षा नीति का मुख्य लक्ष्य है कि हम भारतीय पूरे विश्व में अपने आप को स्थापित करें और विश्व हमारा अनुकरण करें, लेकिन हम पहले भी यही चाहते थे और अब भी यही चाहते हैं कि यह कार्य शस्त्र के बल पर नहीं अपितु शास्त्र के बल पर हो और नई शिक्षा नीति इसी तथ्य को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

अग्निहोत्री ने संस्कृत के महत्व को भी बताते हुए कहा की नई शिक्षा नीति में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि हम इतिहास, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र व विज्ञान आदि सभी विषयों को संस्कृत में भी पढ़ सकते हैं और पढ़ा सकते हैं। क्योंकि संस्कृत में ज्ञान-विज्ञान का भंडार है और इसी के दम पर हम नए सुश्रुत, धनवंतरी, दयानंद सरस्वती, विश्वकर्मा, बुद्ध व शंकराचार्य आदि को फिर से पैदा कर सकते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंक्तियों से अवगत करवाया कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कारण हम नए युग में प्रवेश करेंगे।

मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए अग्निहोत्री ने कहा कि विश्व में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार बेसिक आइडिया से मिलता है और बेसिक आईडिया विदेशी भाषाओं से नहीं अपितु अपनी मातृभाषा में ही आते हैं। इसके बाद डॉ के.अमरजीत शर्मा, निदेशक उच्च शिक्षा विभाग, हिमाचल प्रदेश ने नई शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदुओं को सविस्तार समझाते हुए कहा कि नई शिक्षा का मुख्य उद्देश्य गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना है और इससे भारत ज्ञान के क्षेत्र में सुपर पावर बनेगा। नई शिक्षा का उद्देश्य रिसर्च को बढ़ावा देना है और यह शिक्षा नीति छात्र केंद्रित और अध्यापक केंद्रित शिक्षा नीति है। निदेशक ने कहा कि अगर इस शिक्षा नीति को वास्तविक धरातल पर संपूर्ण भारत में लागू कर दिया जाता है, तो शीघ्र ही हमारे सामने तक्षशिला, नालंदा व विक्रमशिला की तरह विश्वविद्यालय स्थापित होंगे।

निदेशक ने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कदम उठाने हेतु भारत सरकार की भी सराहना की। क्योंकि इतिहास में संभवत पहली बार कुल जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने का प्रावधान किया गया है। अंत में एमसीएमडीएवी कॉलेज के प्राचार्य डॉ बलजीत सिंह पटियाल ने सभी महानुभावों का विशेष रूप से मुख्य वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि नई शिक्षा नीति एक श्रेष्ठ भारत का निर्माण करेगी। भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा और नई शिक्षा नीति भारतीय बच्चों को वास्तव में भारतीय बनाएगी।