21 साल सेवाएं, नियमितकरण को तरसे आयुर्वेदिक विभाग के दैनिक भोगी

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

आयुर्वेदिक विभाग में 21 वर्षों की सेवा देने के उपरांत भी दैनिक वेतन भोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष तरसेम कुमार ने कहा कि 2005 में पार्ट टाइम से लगभग 273 कर्मचारियों को 10 वर्ष 1 वर्ष के 240 दिन पूर्ण करने पर नियमित किया गया।

  • कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष ने लगाए अनदेखी के आरोप

उसके उपरांत 2012 में इन कर्मचारियों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बना दिया गया। उसके बाद छह माह दैनिक वेतन भोगी पद पर सेवाएं देते हुए लगभग 513 कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया उसके उपरांत 513 कर्मचारियों में से एक नहीं, दो नहीं 1 वर्ष लगभग नियमित सेवा देने के उपरांत 513 कर्मचारियों में से एक नहीं दो नहीं 1 वर्ष की लगभग नियमित सेवा देने के उपरांत फिर से इन गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 2013 में फिर से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बना दिया गया। 1 वर्ष की नियमित सेवा देने के उपरांत फिर से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बनाए जाने के उपरांत आयुर्वेद विभाग द्वारा इनके परिवार के ऊपर क्या गुजरी होगी।

पहली बार रिवर्ट हुए 157 कर्मचारी

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में आयुर्वेद विभाग में 157 कर्मचारी पहली बार रिवर्ट हुए होंगे। फिर प्रदेश सरकार ने 2017 में कैबिनेट में यह निर्णय लिया जिन कर्मचारियों को 30 सितंबर व 31 मार्च को सभी विभागों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का 5 वर्ष 1 वर्ष के 240 दिन पूर्ण करने पर नियमित किया जाएगा, लेकिन आयुर्वेद विभाग में प्रदेश सरकार के नियमों व शर्तों को हिमाचल के इतिहास में प्रदेश सरकार के बनाए हुए नियमों को आयुर्वेद विभाग में लागू नहीं किया जाता है और इन नियमों से गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी आयुर्वेद विभाग में आज तक नियमित नहीं हो पाए हैं। आयुर्वेद विभाग द्वारा गरीब वर्ग के दैनिक वेतन कर्मचारियों को बिना नियमित किए ही दैनिक वेतन भोगी पद पर आयुर्वेद विभाग द्वारा रिटायर किया जा रहा है, जिससे 60 वर्ष की आयु के उपरांत आयुर्वेद विभाग द्वारा कोई भी सहायता मुहैया नहीं कराई जाती।

सरकार का रवैया भी ढुलमुल

तरसेम कुमार ने कहा है कि हम इन 3 वर्षों में कई बार प्रदेश भाजपा सरकार से मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद विभाग को निर्देश दिए थे कि इन कर्मचारियों की ठोस नीति बनाकर मामला कैबिनेट में लाया जाए लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के उपरांत न तो मामला कैबिनेट में लाया गया और न ही मुख्यमंत्री के द्वारा संज्ञान में नहीं लाया गया इन समस्त कर्मचारियों का कहना है कि जब भी हम आयुर्वेद विभाग के उच्च अधिकारियों से मिलते हैं तो रिक्त पद न होने का हवाला देकर इन गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को टाल दिया जाता है जबकि जिला वार आरटीआई से ज्ञात हुआ है कि आज भी लगभग 200 के करीब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिक्त पद खाली चल रहे हैं। जिला उपायुक्त कांगड़ा स्थित धर्मशाला के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर आयुर्वेद मंत्री माननीय मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है की अति शीघ्र नियमित करके इन कर्मचारियों को भाजपा सरकार द्वारा न्याय मिल सके।