हिमाचल में चाइल्ड ओबेसिटी: जंक फूड के कारण 100 में से 15 बच्चे मोटापे का शिकार

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

हिमाचल के लिए एक चिंता की खबर है। सेहत के लिहाज से पहाड़ का बचपन खतरे में है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में बाल रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 15 फीसदी बच्चे ओबेसिटी यानी मोटापे की समस्या वाले आ रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ इसका सबसे बड़ा कारण जंक फूड बता रहे हैं। साथ ही कोरोना काल में बच्चे घर में ही रहने के कारण मोबाइल से चिपके रहते हैं। चिंता की बात यह है कि बच्चों में मोटापे की समस्या ग्रामीण इलाकों में भी पहुंच गई है। दो दशक पहले पेरेंट्स की शिकायत रहती थी कि बच्चे टीवी पर कार्टून चैनल देखते रहते हैं। लेकिन अब टीवी से भी घातक मोबाइल स्क्रीन का दौर आ गया है।

आईजीएमसी अस्पताल के बाल रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर प्रोफेसर प्रवीण भारद्वाज के अनुसार ओपीडी में हर रोज इलाज के लिए कुल आने वाले बच्चों में 15 फीसदी मोटापे से ग्रस्त पाए गए हैं। अब बच्चे आउटडोर गेम्स में बहुत कम हिस्सा ले रहे हैं। इसके साथ ही उनके खानपान की आदतें भी पूरी तरह से बदल गई हैं। बच्चों का पसंदीदा खाना अब पिज्जा, बर्गर, पेस्ट्री, कुरकुरे, चिप्स हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि अधिकांश बच्चे बर्गर के साथ कोल्ड ड्रिंक पीते हैं। ये सेहत के लिए बहुत घातक है मोटापे के कारण ही बच्चों में डायबिटीज और दिल की बीमारी होने की आशंका रहती है। जिन बच्चों के पेरेंट्स कामकाजी हैं। उनके बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखने में मिल रही है। कारण यह है कि ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों के हेल्दी फूड पर ध्यान नहीं देते हैं। न तो बच्चों को धैर्य से भोजन करने की सीख और सलाह मिलती है और न ही उनके नाश्ते तथा लंच-डिनर में उपयुक्त कैलोरी वाली डाइट होती है।

बहुत से बच्चे मोबाइल चलाते समय ही जल्दी-जल्दी खाना ठूंसते हैं। ग्रामीण इलाकों के बच्चे भी अब खेलों की तरफ कम रुझान रख रहे हैं। बहुत छोटी उम्र के बच्चे मोबाइल पर तरह-तरह की ऑनलाइन गेम्ज़ खेलते हैं। ऐसे में बच्चों की सेहत  खराब हो रही है। लगातार मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी भी प्रभावित हो रही है। फास्ट फूड और जंक फूड से हटाकर बच्चों को हेल्दी फूड  की तरफ लाने का प्रयास करना बहुत जरूरी है।