कोरोना मरीजों को नहीं होगी आक्सीजन की कमी, नेरचौक में प्लांट तैयार

प्रदेश के 7 विभिन्न अस्पतालों में भी लगाए जा रहे ऑक्सीजन प्लांट

उमेश भारद्वाज। मंडी

हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार बद से बदतर होती जा रही है। जहां रोजाना मरीजों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी दर्ज की जा रही हैं। वहीं अस्पतालों में भी मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कवायद शुरू हो गई है। इसको लेकर अब केंद्र सरकार के माध्यम से मंडी जिला के सबसे बड़े अस्पताल श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अब हर बिस्तर तक मरीजों ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी जिले में नहीं रहेगी। इसके तहत नेरचौक मेडिकल कॉलेज में अपना ऑक्सीजन प्लांट लगभग तैयार हो गया है और जल्द ही सुविधा देने जा रहा है। वहीं जिला के अन्य डेडीकेटेड कोविड केयर सेंटर (डीसीसीसी) के लिए भी अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था विभाग ने कर ली है। बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों को सुविधा प्रदान करने के लिए संपूर्ण देश के लिए नए ऑक्सीजन प्लांटस की सुविधा दी गई है। वहीं हिमाचल प्रदेश के 7 विभिन्न अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए हैं।

एक करोड़ की लागत से स्थापित किया गया ऑक्सीजन प्लांट

मंडी में 600 से अधिक मामले कोरोना संक्रमण के हैं। अधिकतर मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। इससे पहले लगभग डेढ़ वर्ष मेडिकल कॉलेज नेरचौक बतौर डेडीकेटेड कोविड अस्पताल के तौर पर भी कार्य कर चुका है और अनलॉक होने के बाद हाल ही में इसमें दोबारा ओपीडी शुरू कर दी गई थी। पहले नेरचौक मेडिकल कॉलेज में मैनीफॉल्ड प्लांट से सिलेंडर को जोडक़र ऑक्सीजन देने की व्यवस्था थी, जिसमें खामियां थी। इसके बाद अब यहां पर एक करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट बना दिया है। इससे नेरचौक में अब ऑक्सीजन तैयार होगी।

क्या हैं ऑक्सीजन प्लांट की खूबियां

मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन तैयार करेगा। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन अनुबंध पर कर्मचारी नियुक्त करेगा। इससे सीधी ऑक्सीजन मरीज के बिस्तर तक जाएगी। वहीं बीबीएमबी और सीएचसी रत्ती अस्पताल जिन्हें डीसीसीसी बनाया जा गया है, वहां भी 100 सिलेंडर की व्यवस्था है। अगर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को अतिरिक्त व्यवस्था करने के आदेश भी दिए गए हैं। जिससे अगर अन्य अस्पतालों में मरीज रखें जाएं तो वहां पर ऑक्सीजन देने में कोई दिक्कत न हो।