पराशर ने करवाया था भैंस का बीमा, आशीष को अब मिलेंगे 40 हजार रुपए

भैंस की असमय मौत के बाद अब बीमा कंपनी अदा करेगी राशि

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

जीवन बीमा और फसलों के बीमा की तरह सरकार पशुओं का बीमा भी कराती है। बीमित पशु की आकस्मिक मृत्यु होने की दशा में योजना के तहत पशुपालक को बीमा राशि मिलती है। लेकिन जानकारी के अभाव में कई किसान अपने पशुओं का बीमा नहीं करवाते हैं। परिणामस्वरूप पशु की अचानक मौत के बाद किसान आर्थिक रूप से इतने आत्मनिर्भर नहीं होते कि वह दोबारा भैंस या गाय खरीदकर अपनी पशुशाला में बांध सकें। कैप्टन संजय ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए पशुधन बीमा को लेकर बड़ी पहल की। उन्होंने जसवां-परागपुर क्षेत्र में 21 किसानों के पशुओं के बीमा की राशि अपनी जेब से भरी। हालांकि पहले चरण में पराशर का लक्ष्य एक सौ पशुओं का बीमा करवाना था, लेेकिन सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के चलते इतने ही पशुधन बीमित हो पाए।

बावजूद संजय के सौजन्य से पशुधन का बीमा करवाने वाले कूहना गांव के आशीष खुद को भाग्यशाली मानते हैं। उनकी भैंस बीमार हो गई और असमय काल का ग्रास बन गई। आशीष ने बीमा कंपनी के प्रबंधक से इस बाबत बात की तो सर्वे होने के बाद अब इस पशुपालक को चालीस हजार रूपए मिलेंगे। दरअसल जसवां-परागपुर क्षेत्र में किसानों व पशु पालकों की आय बढ़ाने के लिए संजय ने प्रारूप तैयार किया है। खेती को लेकर दुग्ध उत्पादन से किसानों की अाय बढ़ाने के लिए संजय तीन प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं। पशु पालक किसी दुधारू पशु की मौत के बाद आर्थिक रूप से बुरी तरह से टूट जाते हैं। एक तो दूध बेचने से उनकी नियमित अाय बंद हो जाती है और नया पशु खरीदने के लिए उनके पास धन का प्रावधान नहीं होता।

इसके बाद किसानों की आय के साधन घट जाते हैं और फिर आर्थिक रूप से कभी आत्मनिर्भर नहीं भी हो पाते हैं। किसानों की इसी विडम्बना को देखते हुए पराशर ने पशुधन का बीमा करवाने का निर्णय लिया था। इतना ही नहीं किसानों को प्रशिक्षित करने व दुग्ध उत्पादन की अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल का भी पिछले महीने दौरा करवाया था। वहीं, पशु पालक आशीष का कहना है कि कैप्टन संजय उनके लिए किसी मसीहा जैसे हैं। पहले पराशर ने पशु पालकों को पशुधन का बीमा करवाने के लिए प्रोत्साहित किया और फिर खुद ही बीमा की राशि अदा की।

बीडीसी सदस्य अनुज शर्मा कहते हैं कि संजय के पास जो विजन है, उसका ही फायदा पशु पालक आशीष को हुआ है। उधर, कैप्टन संजय ने बताया कि प्रदेश सरकार की यह पशुआें के बीमा की यह अच्छी योजना है, लेकिन इसका व्यापक स्तर पर प्रचार व प्रसार होना चाहिए। साथ में पशुओं की संख्या व समय तय करने की बजाय हर पशु पालक तक इस योजना का लाभ पहुंचाया जाए, तो धरातल पर पशु पालक लाभान्वित होंगे। भैंस की मौत के बाद बीमा कंपनी आशीष को देगी 40,000 रूपए ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि रोहित कुमार ने बताया कि पशुपालक आशीष की भैंस की मौत के बाद सर्वे किया गया। सर्वे में भैंस की बीमित राशि के हिसाब से चालीस हजार रूपए स्वीकृत हुए हैं। अब औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आशीष को बीमा कंपनी उक्तराशि देगी।