जिला प्रशासन से रामलीला मंचन को लेकर नहीं मिली अनुमति

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। साेलन

नवरात्र पर्व सात अक्तूबर से शुरू होने वाला है, लेकिन अब तक जिला प्रशासन से सोलन में रामलीला मंचन को लेकर अनुमति नहीं मिली है। कोरोना संकट के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी रामलीला मंचन के आयोजन पर अभी संशय बना हुआ है। रामलीला मंडल सोलन की माने, तो उन्होंने मंडल के सचिव के माध्यम से बीते दिनों जिला प्रशासन से इसकी अनुमति मांगी थी, लेकिन अब तक प्रशासन द्वारा कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। पदाधिकारियों का कहना है कि यदि प्रशासन अभी भी अनुमति दे तो आयोजय हो सकता है। कोरोना संकट के चलते सोलन में सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा टूट गई है।

पिछले वर्ष भी कोरोना काल के कारण रामलीला का मंचन नहीं हो पाया और इस बार भी प्रशासन की अभी तक कोई गाइडलाइन नहीं मिली है और न ही कलाकार इसके लिए तैयारी कर पा रहे हैं। ऐसे में रामलीला मंचन पर इस बार भी कोरोना का संकट भारी पड़ सकता है। गौर हो कि पिछले वर्ष भी परंपरा से चला आ रहा रामलीला मंचन नहीं हो पाया और न ही दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले जलाए गए। दशहरे पर ठोडो मैदान में होने वाला दंगल मेला भी नहीं हुआ था। सोलन में सैकड़ों वर्षाें से रावण दहन और रामलीला के आयोजन की परंपरा है। पिछले 38 वर्षों से तो जगदंबा रामलीला मंडल ही इसका आयोजन करता आ रहा है। रामलीला का आयोजन न होने से जहां कलाकार मायूस है। वहीं, शहरवासी भी रामलीला मंचन देखने से महरूम रह गए।

इस रामलीला का समापन दशहरे के दिन रावण दहन के साथ ही होता था। दशहरे के लिए नगर परिषद द्वारा रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के बड़े-बड़े पुतले बनाने के लिए कलाकार लाए जाते थे। इन पुतलों को दशहरे के दिन ठोडो मैदान में जलाया जाता था और इसी के साथ ही दसवें दिन रामलीला का भी समापन हो जाता था। इसी के साथ ठोडो मैदान में विशाल दंगल का भी आयोजन किया जाता था, जिसमें प्रदेश व बाहरी राज्यों से पहलवान भाग लेते थे। इस दौरान पूरा ठोडो मैदान दर्शकों से भर जाता है। इस बार भी सात अक्तूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं और रामलीला मंचन की कोई तैयारी नहीं है। इससे लगता है कि इस बार भी रामलीला मंचन नहीं हो पाएगा।

जगदंबा रामलीला मंडल के निदेशक हरीश मरवाहा व प्रधान मुकेश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने मंडल के सचिव के माध्यम से प्रशासन से अनुमति मांगी थी, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए। कोरोना संकट काल के कारण पिछले वर्ष भी रामलीला का मंचन नहीं हो पाया और न ही इस बार उम्मीद है। प्रशासन ही दशहरे के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार करवाता था, लेकिन इस बार अभी तक कोई गाइडलाइन नहीं मिली है। रामलीला मंचन न होने से यहां के कलाकार भी मायूस हैं।