लक्षद्वीप में सियासी बबाल

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

अरब सागर में बसे भारत के एक हिस्से लक्षद्वीप में पिछले कुछ दिनों से सियासी बवाल मचा है। इसकी बड़ी वजह वहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल द्वारा लाए गए नए नियम हैं। इन कानूनों को लेकर जहां लक्षद्वीप के लोगों को कई आशंकाएं है तो इनके खिलाफ लोगों का गुस्सा भी बढ़ने लगा है। तमाम विपक्षी राजनीतिक दल भी इन कानूनों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं। विपक्ष लक्षद्वीप के प्रशासक को हटाने की मांग कर रहा है। इसके लिए विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को पत्र भी लिखा है। विरोधी इसे लक्षद्वीप की संस्कृति में अनावश्यक सरकारी दखल और आरएसएस के एजेंडे को लागू करने का आरोप लगा रहे हैं।

प्रमुख द्वीप: अगाती और मिनिकॉय
रणनीतिक तौर पर भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण
यह क्षेत्र सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर केरल के नजदीक है
सबसे नजदीकी तटीय इलाका कोच्चि

भारत का सबसे नजदीकी तटीय इलाका केरल का कोच्चि है। यहां से अगाती के लिए हवाई जहाज उड़ान भरते हैं। एकमात्र एयरपोर्ट अगाती में ही है, यहां से राजधानी कवरत्ती के लिए हेलिकाप्टर सेवा है। लक्षद्वीप का सबसे नजदीकी द्वीप कोच्चि से करीब 240 किलोमीटर की दूरी पर है। लक्षद्वीप की मूल भाषा मलयालम है।

भारत का मालदीव

सुंदर, मनोहारी और सूरज से चमकते समुद्र तटों के चलते इसे भारत का मालदीव भी कहा जाता है।

केंद्र बदलना चाहती है स्थितियां

मोदी सरकार पिछड़ेपन का दंश झेल रहे लक्षद्वीप की स्थिति को बदलना चाहती है। सरकार की कोशिश है कि यहां ना केवल पर्यटन बढ़े बल्कि लोगों को रोजगार मिले और समृद्धि आए। प्रशासक ने विकास का जो रोडमैप तैयार किया है, उसमें महिलाओं, गरीब और युवा सबके लिए गुंजाइश है।
क्या हैं नए नियम

लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन-2021: इसके तहत प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने का अधिकार होगा।

प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटीज (गुंडा एक्ट) एक्ट: इसके तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को ना केवल गिरफ्तार कर सकती है बल्कि उसे एक वर्ष तक हिरासत में भी रख सकती है।

सरकारी नौकरी सबसे बड़ा उद्योग

लक्षद्वीप की कुल आबादी तो महज सत्तर से अस्सी हजार के करीब, लेकिन यहां स्थाई, अस्थाई और कांट्रैक्ट पर काम करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों को गिन लिया जाए, तो संख्या करीब 9000 है।

राजनीतिक स्थिरता के बावजूद नहीं हुआ विकास

राजनीतिक स्थिरता के बावजूद इस केंद्रशासित प्रदेश में विकास ना के बराबर है। यूपीए सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे पीएम सईद ने 1967 से लेकर 2004 तक लगातार दस बार लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व किया। मौजूदा सांसद और एनसीपी के नेता मोहम्मद फैजल भी 2014 के बाद 2019 में भी यहां से सांसद चुने गए हैं।