पौंग बांध विस्थापित आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर…!

आज भी लोग कच्चे मकानों मे गरीबी रेखा से नीचे रहने को मजबूर

उज्ज्वल हिमाचल। नूरपुर

पौंग बांध विस्थापितों के 55 साल पुराने मुद्दे को लेकर सरकारें कितनी संवेदनशील हैं। इसका पता गैर राजनीति विस्थापितों से धरातल पर पता चलता है।देश की खुशहाली ब दूसरे राज्यों को रोशन करने वाले पौग वाध विस्थापितों का दर्द आखिर 55 वर्षों के बाद भी कम नहीं हुआ है वर्ष 1960 में 360 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए व्यास नदी पर पौंग बांध की आधारशिला रखी गई थी जिसके लिए कांगड़ा जिले की हलदून घाटी के 339 गांवों के लगभग 30 हजार परिवार विस्थापित एवं बेघर हुए थे ,और बांध में एकत्रित पानी राजस्थान की भूमि को हरा भरा किए जाने के लिए दिए जाना था। वर्ष 1997 में बनी भारत सरकार के जलशक्ति सचिव, राजस्थान राजस्व सचिव और हिमाचल प्रदेश राजस्व सचिव की संयुक्त हाई पॉवर कमेटी की 29 बेनतीजा बैठकों से स्पष्ट झलकता है। कि केंद्र और राज्य सरकारें कितनी गंभीर है।

 

हल्दून घाटी की उपजाऊ भूमि को न चाहते हुए भी 90 हजार 702 की आबादी ने पौंग बांन्ध निर्माण की खातिर मजबूरी में अपने सीने पर पत्थर रखकर अपनी बेहद उपजाऊ भूमि को खोकर बेघर होने की दास्ताँ लिख डाली।इस दौरान लगभग 16352 परिवार अधिकृत हुए। लगभग 15124 परिवारों को सरकारों के समझौते के अनुसार राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की आरक्षित 2.20 लाख एकड़ रेतीली जमीन में बसाने पर सहमति बनी।सन 1980 तक 9196 परिवारों को राजस्थान ने भूमि आबंटित कर दी।जबकि 6658 अलॉटमेंट को किसी कारणवश रद्द कर दिया गया।इनमें से 1188 मुरब्बे राज रकबे थे।जिनमे आज भी वहां का बाहूबली काबिज है।जबकि दो हजार से ऊपर राजस्थान के अन्य कब्जाधारिकों ने हिमाचलियों की भूमि को हथिया रखा है।

 

भाजपा के जितने भी सांसद इस क्षेत्र से दिल्ली गए उन्होंने ने भी वोट की राजनीति की आड़ में अपने चेहरे विस्थापितों को लाभ दिया। बिक्रम महाजन व सत महाजन व चौधरी चन्द कुमार जैसे सांसदों ने विस्थापितों का मुद्दा अवश्य लोकसभा मे इनके हितों की लड़ाई लगी। विक्रम महाजन ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में इन विस्थापितों को हक दिलवाया था। डाक्टर राजन सुशांत ने भी विस्थापितों के लिए भाजपा में रहकर लड़ाई वाजपेई सरकार में लगी थी लेकिन भाजपा ने सुशांत को पार्टी से अडियल रवैयों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सुशांत आजकल राजनीति में मोनी वाला वन गये है। सुशांत एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं में सर्वोपरि रहे हैं।

संवाददाताः विनय महाजन

ब्यूरो रिपोर्ट शिमला हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें

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