भारत-रूस संबंधों में आई नरमी को दूर करने में सफल रही पुतिन की भारत यात्रा

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्‍ली

रूसी मीडिया ने भारत-रूस संबंधों को प्राथमिकता देते हुए पुतिन की भारत यात्रा को एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में दर्ज किया है। आखिर पुतिन की इस यात्रा ने दुनिया खासकर चीन और अमेरिका को क्‍या संदेश गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय हुई है, जब रूस में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है। महामारी के दौरान राष्‍ट्रपति पुतिन ने खुद को देश तक ही सीमित रखा है। इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि पुतिन रोम में जी-20 के शिखर सम्‍मेलन में नहीं गए।

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इसके अलावा वह ग्‍लासगो में हुए पर्यावरण सम्‍मेलन कोप-26 में भी नहीं पहुंचे। इसको लेकर अमेरिका ने रूस की खिंचाई भी की थी। इसके अतिरिक्‍त वह चीन का बहु-प्र‍तीक्षित दौरा भी टाल चुके हैं। क्‍या सच में पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों में आई नरमी को दूर करने में सफल रही? भारतीय विदेश नीति के लिहाज से पुतिन की यात्रा कितनी उपयोगी रही? इन तमाम सवालों को एक्‍सपर्ट के नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं।

प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि हाल के वर्षों में अतंरराष्‍ट्रीय परिदृष्‍य में बड़ा बदलाव आया है। दुनिया में चीन का दबदबा बढ़ रहा है। इसके साथ उसकी आक्रमकता भी बढ़ रही है। भारत समेत कई देशों के साथ सीमा तनाव, ताइवान, हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में उसका दखल और प्रभाव बढ़ रहा है। उधर, अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद उसकी महाशक्ति की साख में कमी आई है। तालिबान के जरिए पाकिस्‍तान रूस के नजदीक पहुंच रहा है। रूस और चीन की दोस्‍ती के चलते हाल के दशकों में भारत का अमेरिका के प्रति झुकाव बढ़ा है। क्‍वाड के गठन के बाद रूस की यह चिंता और बढ़ गई थी। इससे रूस और भारत के संबंधों में एक नरमी सी आ गई थी।

इसमें कोई शक नहीं पुतिन की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच एक बार फ‍िर से गर्माहट आ गई है। हालांकि, यह देखना दिलचस्‍प होगा कि पुतिन की इस यात्रा के बाद रूस-चीन और पाकिस्‍तान के साथ कैसे रिश्‍ते कायम करता है। रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के लिए भी उनकी भारत यात्रा काफी अहम है। इस यात्रा के दौरान पुतिन ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। उन्होंने अमेरिकी और रूसी लोगों को स्पष्ट संदेश दिया है कि रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर बाहरी दबाव के बावजूद भारत के साथ मधुर रिश्ते बनाए रखे हैं।

इस क्रम में पुतिन ने भारत समर्थक रूसी नागरिकों को साधने की कोशिश की है। उन्‍होंने कूटनीति के जर‍िए जहां देश की आतंरिक राजनीति को साधने की कोशिश की है, वहीं अमेरिका और पश्चिमी जगत को यह संदेश देन में सफल रहे हैं कि भारत के साथ रूस के रिश्‍ते पूर्व जैसे ही हैं। वर्ष 2014 में जब रूस ने क्रीइमिया पर कब्जा किया था, उसके बाद से रूस कई तरह के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। उन्‍होंने प्रतिबंधों के बावजूद भारत की यात्रा कर यह संदेश दिया है कि भारत रूस का एक पारंपरिक और भरोसेमंद साझेदार है। पुतिन भारत के साथ रिश्तों को और मजबूत करना चाहते हैं।