जब मां ने लगाई गुहार तो बेटे के लिए संजय बने मददगार

गुर्दे की बीमारी से पीड़ित संजीव का पराशर शिमला में करवा रहे उपचार

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

तारीख थी इसी महीने की दस सितंबर, समय हो चुका था रात के पौने दस बजे। स्वाणा गांव में एक मां अपने बेटे के बिगड़ चुके स्वास्थ्य के बाद घर के बाहर सड़क पर बुरी तरह से बिलख रही थी। निराश, असहाय व हताश हो चुकी इस मां की कराह रात के घुप्प अंधेरे में गूंज तो रही थी, लेकिन कोई भी तो नहीं था, जो इस घड़ी में उस मां के लिए दो शब्द दिलासे के ही कह सके। संयोग से तभी कैप्टन संजय पराशर उसी राह से गुजरते हैं, तो बुजुर्ग महिला की ऐसी हालत को देखकर अपनी गाड़ी रोक लेते हैं। महिला की बात सुनने के बाद पराशर फौरन युवक के घर पहुंचते हैं और हाल जानकर किराए की गाड़ी का प्रबंंध करते हैं।

कुछ ही देर में गुर्दे की बीमारी से पीड़ित इस युवक को उपचार के लिए आईजीएमसी, शिमला के लिए स्वजनों के साथ रवाना कर देते हैं। अब छह दिनों बाद युवक संजीव कुमार के स्वास्थ्य में सुधार होता दिख रहा है। वीरवार को जब मां उत्तमी देवी पराशर के पास आभार जताने पहुंचीं, तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे और जुबान पर कैप्टन संजय के लिए अनगिनत दुआएं।

दरअसल स्वाणा गांव के युवक संजीव कुमार के गुर्दे में पत्थरी थी, जिनका आकार काफी बड़ा था। टांडा मेडीकल कॉलेज में उपचार भी करवाया गया, लेकिन आर्थिक कारणों से युवक समय पर चिकित्सा सहायता नहीं ले पाया। बीते शुक्रवार की रात को संजीव की हालत अचानक बिगड़ गई और उसके शरीर में सूजन आ गई। दर्द सहने की शक्ति उसमें न के बराबर रही थी और सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी।

मां उत्तमी देवी से यह हालत देखी न गई और वह रोते हुए सड़क तक पहुंच गई थीं। ठीक उसी वक्त कैप्टन संजय ने न सिर्फ परिवार का ढांढस बंधाया, बल्कि आइजीएमसी शिमला में युवक से भेजने से पहले सारी व्यवस्था की गई। पराशर ने अपने खर्च पर गाड़ी भेजी, तो उसके बाद उन्होंने परिवार के ठहरने के लिए शिमला के एक होटल में ठहरने का प्रबंध भी किया। परिजनों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी संजय द्वारा ही की गई है। इतना ही नहीं संजय ने भरोसा दिया है कि अगर दवाईयों का खर्च परिवार से वहन नहीं होता है, तो वह उसके लिए भी सहायता करेंगे।

वहीं, आज सुबह संजय के निवास स्थान पर पहुंची उत्तमी देवी ने बताया कि पराशर के प्रति धन्यवाद व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है। वह अपनी प्रार्थना में भगवान से यही दुआ करेंगी कि संजय जैसे बेटे लाखों घरों में पैदा हों, ताकि समाज से गरीबी व दुख-दर्द का खात्मा सदा के लिए हो जाए। शिमला में भाई का उपचार करवा रहे भूषण ने बताया कि संजीव की हालत में दिन-प्रतिदिन सुधार हो रहा है। कैप्टन संजय द्वारा उनके लिए बेहतर व्यवस्था की गई है और इसके लिए उनका परिवार पराशर का ताउम्र आभारी रहेगा।