हिमाचल में पांव पसार रहा स्क्रब टायफस, आईजीएमसी में 284 संक्रमित, 6 की मौत

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

कोरोना के बाद अब स्क्रब टाइफस का खतरा बढ़ रहा है। इस सीजन के बीच आईजीएमसी में अभी तक 5 मरीज स्क्रब टाइफस के कारण दम तोड़ चुके हैं और 295 लोग संक्रमित पाए गए हैं। बरसात के सीजन में अधिक पनपने वाले स्क्रब टाइफस से बचने के लिए आइजीएमसी प्रशासन ने लोगों से बचाव की अपील की है। आईजीएमसी के डिप्टी एमएस राहुल गुप्ता का कहना है कि स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो कि जानलेवा है।

यह घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सू से फैलता है। इसलिए स्क्रब टायफस के मामले गांवों में ज्यादा आते हैं। बरसाती मौसम में हल्के या तेज बुखार को हल्के में ना लें। किसी भी कारण से आए बुखार को नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और बुखार की जांच करवाएं। बुखार यदि एक हफ्ते से ज्यादा चले तो मरीज का मर्ज चरम तक पहुंच सकता है। ऐसे में मरीज को बचाना कई बार मुश्किल हो जाता हैकैसे होती है मौत
स्क्रब टायफस वाला कीड़ा जब काटता है, तो वह अपनी लार छोड़ता हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को इन्फैक्शन हो जाता है। जब यह इन्फैक्शन मल्टीपल ऑर्गनस में पहुंच जाता है, तो मरीज की मौत हो जाती है। लंग्स, कीडनी, लिवर में इन्फैक्शन पहुंचने से ये सभी काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का बच पाना संभव नहीं हो पाता। इसके अलावा मरीज का अस्पताल में बीमारी की लेट जांच करवाना भी मौत का कारण होता है।

बीमारी की पहचान और लक्षण
पीड़ित व्यक्ति के शरीर में काले रंगा का निशान होगा। वह निशान आसानी से नहीं दिखता है। निशान में दर्द नहीं होता। बुखार, थकावट, कंपन, शरीर के अंगों में दर्द, कमजोरी व उल्टियां इसके लक्षण हैं।