जब हम लेते हैं ईश्वर को देख तभी हमारा विश्वास भगवान के प्रति होता है पैदा

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

कांगड़ा बहुतकनिकी संस्थान के सभासागर में चल रही सात दिवसीय श्री राम कथा के पांचवे दिन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक आशुतोष महाराज के परम शिष्य कथा व्यास डॉ सर्वेश्वर ने केवट प्रसंग को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जब एक भक्त के भीतर निष्काम भक्ति जन्म लेती है तब उसे ईश्वर से नहीं मांगना पड़ता बल्कि भगवान स्वयं उसके द्वार पर मांगने के लिए आ जाते हैं। श्री राम केवट से गंगा पार करने के लिए नौका की मांग करते हैं। यह घटना निष्कामता का प्रतीक है। जब एक भक्त के भीतर निष्काम भक्ति जन्म लेती है। केवट बार-बार कहते हैं प्रभु मैं आपके भेद को जानता हूं लेकिन आज तो सारी दुनिया भगवान को केवल मान रही है।

कोई राम को मानता है, कोई कृष्ण को मानता है और कोई भगवान शिव को मानता है। मानना अधूरा है, जानना ही भक्ति की पूर्णता है। समस्त शास्त्र ग्रन्थ कहते हैं कि ईश्वर मानने का नहीं, अपितु जानने का विषय है और जानने की सबसे पहली सीढ़ी है ईश्वर को देख लेना। जब हम ईश्वर को देख लेते हैं, तभी हमारा विश्वास उसके प्रति पैदा होता है और फिर उसके बाद ही ईश्वर से प्रेम होता है लेकिन अब प्रश्न है कि ईश्वर को देखा कैसे जाए? उसके लिए ज़रूरत है समय के पूर्ण सद्गुरु की शरण में जाने की। वो सद्गुरु जो ईश्वर की बातें न बताएं अपितु ज्ञान दीक्षा देते समय उसी क्षण ही ईश्वर के ज्योति स्वरूप का दर्शन हमारे घट में करवा दें। तभी हमारी वास्तविक भक्ति शुरू हो सकती है।

इस दौरान कथा सभा में विनोद अग्रवाल, जोगिन्दर राणा, सुरेन्द्रर चोपड़ा, रमेश असित, नवनीत शर्मा, शशि शर्मा, यति उमा शर्मा, रतन मलहोत्रा, कमलेश, डोली देवी सहित शहर के गणमान्य अतिथि भारी संख्या में उपस्थित रहे। इसी अवसर पर महात्मा अमृत और महात्मा नरेश द्वारा सुमधुर भजन में चौपाइयों का गुणगान किया गया। कथा पंडाल में होली का उत्सव भी बहुत धूमधाम से मनाया गया। कथा को विराम प्रभु की पावन आरती से दिया गया। आज की कथा में हनुमान प्रसंग और सुंदरकांठ कथा के बारे में भक्तो को विस्तारपूर्वक बताया जाएगा।

संवाददाताः अंकित वालिया

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