सरकार के खिलाफ सीटू व किसान सभा का हल्ला बोल

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हज़ारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए।

शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर सीटू व किसान सभा ने विरोध प्रदर्शन किया। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व हिमाचल किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज,वाणिज्य एवम व्यापार(संवर्धन एवम सुविधा)अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन(बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम(संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है।

 

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी इन्हीं नीतियों का अनुसरण कर रही है। कारखाना अधिनियम 1948 में तब्दीली करके हिमाचल प्रदेश में काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया है। इस से एक तरफ एक-तिहाई मजदूरों की भारी छंटनी होगी वहीं दूसरी ओर कार्यरत मजदूरों का शोषण तेज़ होगा। फैक्टरी की पूरी परिभाषा बदलकर लगभग दो तिहाई मजदूरों को चौदह श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है। ठेका मजदूर अधिनियम 1970 में बदलाव से हजारों ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में परिवर्तन से जहां एक ओर अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी ओर मजदूरों की छंटनी की पक्रिया आसान हो जाएगी व उन्हें छंटनी भत्ता से भी वंचित होना पड़ेगा।

 

उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर पूंजीपतियों,नैेगमिक घरानों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाकर मजदूरों-किसानों के शोषण को रोका न गया तो मजदूर-किसान सड़कों पर उतरकर सरकार का प्रतिरोध करेंगे। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार कोरोना काल में सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करे व खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करे। किसानों की पूर्ण कर्ज़ माफी की जाए। किसानों को फसल का सी-2 लागत से 50 फीसद अधिक दाम दिया जाए। किसानों के लिए “वन नेशन-वन मार्किट” नहीं बल्कि”वन नेशन-वन एमएसपी” की नीति लागू की जाए।