नवरात्र पर विशेष : आइए जाने देश सबसे  पुराना दुर्गा मंदिर कौन सा है और कहां स्थित है?

उज्जवल हिमाचल । फीचर डेस्क

Chaitra Navratri 2021: 13 अप्रैल यानि आज से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इसी के साथ माता के भक्त 9 दिनों तक उनकी भक्ति में लीन रहेंगे। पिछली बार कोरोना की वजह से सभी मंदिरों के पट बंद कर दिये गए थे। कोरोना का कहर इस बार भी जारी है। इसलिये हम सभी भक्तों से यही अपील करेंगे कि मां के मंदिर न जाकर आप घर पर ही उनकी पूजा-अर्चना करें। बता दें कि हिमाचल के मंदिरों श्री चिंतापूर्णी मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर कांगडा, ज्वालाजी मंदिर, मां बगलामुखी मंदिर, श्री चामुंडा मंदिर में भक्त कोरोना नियमों का पालन कर मां के दर्शन कर सकते हैं।

 

Happy Chaitra Navratri 2021
Source: inkhaba

नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम मां के भक्तों के लिये हिंदुस्तान के सबसे पुराने दुर्गा मंदिर की जानकारी भी जुटा कर लाये हैं। नवरात्रि के मौक़े पर जानते हैं कि आखिर हिंदुस्तान का प्राचीन दुर्गा मंदिर कौन सा है और कहां स्थित है?

Chaitra Navratri 2021
Source: patnabeats

मुंडेश्वरी मंदिर 

मां मुंडेश्वरी मंदिर को देश का सबसे पुराना दुर्गा मंदिर माना जाता है। मां का ये लोकप्रिय मंदिर बिहार के कैमूर ज़िले के रामगढ़ गांव की पंवरा पहाड़ी पर बना हुआ है । कहा जाता है कि पहाड़ लगभग 600 फ़ीट ऊंचा है। बिहार स्थित ये मंदिर 1900 साल पुराना बताया जाता है, जिसकी काफ़ी मान्यता है. मंदिर को लेकर अब तक कई कहानियां भी बताई जाती रही हैं।

 

mundeshwari temple
Source: kaimur

कहते हैं कि चंड और मुंड नामक दो राक्षसों ने काफ़ी कोहराम मचा रखा था. उनके उत्पात से परेशान को होकर मां मुंडेश्वरी प्रकट हुई और उनका वध कर डाला. कहते हैं कि इस मंदिर में मनोकामना पूर्ण करने के लिये लोग बकरे की बलि भी देते हैं, लेकिन हां बलि देने का भी अनोखा तरीक़ा है, जिससे बकरे का एक भी कतरा ख़ून नहीं बहता है.

Navratri 2021
Source: rgyan

दरअसल, मनोकामना पूर्ण होने के बाद जब भी कोई भक्त बकरे की बलि देने आता है, तो पुजारी जी बकरे पर चावल छिड़कते हैं. चावल छिड़कते ही बकरा बेहोश हो जाता है और होश में आने के बाद उसे आज़ाद कर दिया जाता है. इस तरह बकरे को आज़ाद करके उसकी बलि स्वीकार कर ली जाती है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 108 ईस्वीं में ‘शक’ शासन काल के दौरान किया गया था. मंदिर की दुर्लभ 97 मूर्तियों को पटना के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. इसके अलावा तीन मूर्तियां कोलकाता के म्यूज़िम में सुरक्षित हैं।