भारद्वाज हॉस्पिटल में स्ट्रोक का उपचार शुरू, पहला केस किया थ्रोम्बोलिसिस

उज्ज्वल हिमाचल। पालमपुर

भारद्वाज मल्टी स्पेशियलिटी अरला में स्ट्रोक का पहला थ्रोम्बोलिसिस किया गया। इसी के चलते भारद्वाज हॉस्पिटल के डॉ. प्रेम भारद्वाज ने बताया कि कल शाम को 5 बजे के करीब रत्नी देवी जोकि 65 साल की महिला है और तसलील कुंडलियां कश्मीर बंगाल की रहने वाली है। उन्होंने बताया कि घर में काम करते समय अचानक उसके शरीर का दाहिना हिस्सा सुन्न पड़ गया और उसने काम करना बंद कर दिया। रत्नी देवी की गंभीर हालत को देखकर उनके रिश्तेदारों ने उन्हें भारद्वाज मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में लेकर आए और 6 बजे के करीब भारद्वाज मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में पहुंच गए।

भारद्वाज मल्टी स्पेशियलिटी में पहुंचने के बाद इस मरीज का अर्जेंट सिटी स्कैन सिविल हॉस्पिटल पालमपुर से करवाया गया। इस बारे में डॉ. भारद्वाज ने केस की गंभीरता को हाथ में लेते हुए इसकी रिपोर्टिंग पूनः सेंटर से करवा कर रात 9 बजे मरीज को 30,000 का थ्रोम्बो सेस का इंजेक्शन दिया। उन्होंने बताया कि इस मरीज की दाहिनी टांग की पावर जीरो के बराबर थी। उन्होंने कहा कि इंजेक्शन लगाने के बाद इंपैक्ट इंट्रेस्ट करना शुरू कर दिया है और इंजेक्शन लगाने के बाद मरीज की हालत में लगातार सुधार हो रहा है।

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उन्होेंने इस बीमारी के बारे में बताया कि यह इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध या कम हो जाती है। यह मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त करने से रोकता है। मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में खत्म होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का एक अन्य प्रकार रक्तस्रावी स्ट्रोक है। यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका में रिसाव होता है या फट जाता है और मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। रक्त मस्तिष्क की कोशिकाओं पर दबाव बढ़ाता है और उन्हें नुकसान पहुंचाता है।

संवाददाताः गौरव कौंडल

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