अच्छी खबर : बरनाला में घुटनों की तकलीफ का दूरबीन से सफल इलाज

अखिलेश बंसल। बरनाला 

घुटनों से पीडि़त मरीजों को जिस दूरबीन द्वारा आप्रेशन करवाने के लिए दूर-दराज जाकर महंगे ईलाज करवाने पड़ते थे, उस समस्या से निजात मिलेगी। सिविल अस्पताल बरनाला में हड्डियों के रोगों के माहिर दो डाक्टरों की जोड़ी व संबंधित टीम ने घुटनों से पीडि़त दो मरीजों का सफल ऑपरेशन कर नई पहल की है।

दो मरीजों का किया सफल आप्रेशन, बिना सहारे चलने से असमर्थ मरीज घर लौटेंगे खुद अपनी ही टांगों के बल पर चलकर

बरनाला में दूरबीन से पहला घुटनों का पहला सफल ऑप्रेशन होने पर डिप्टी कमिश्नर तेज प्रताप सिंह फुलका और सिवल सर्जन डॉ. गुरिदरबीर सिंह एवं सीनियर मेडीकल आफिसर डॉ. तपिन्दरजोत कौशल ने आर्थो विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है। वहीं डॉक्टरों ने पंजाब सरकार के मिशन तंदरुस्त पंजाब को मज़बूत भी किया है।  बताया जा रहा है कि दोनों मरीजों के ईलाज के लिए आईओएल के एमडी वरिंदर गुप्ता और जेएमडी विजय गर्ग ने मदद के हाथ बढ़ाए हैं।

पैसा व समय दोनों होंगे सुरक्षित

गौरतलब हो कि घुटनों के दर्द से पीडि़तयहां के मरीजों को चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और विदेशों में भी जाकर अपना लिाज करवाना पड़ता था। हड्डियों के रोगों के माहिर डा. अंशुल गर्ग और डा. हरीश की टीम की दूरंदेशी विचारधारा ने घुटनों के धागों (आर्थोस्कॉपिक लिगामैंट रिपेयर) की तकलीफ से पीडित दो मरीजों का दूरबीन के द्वारा ऑप्रेशन किया गया। उसके साथ ही डॉक्टरों की जोड़ी ने दावा किया कि आने वाले समय में हड्डियों के रोगों से पीडि़तों को बाहरी अस्पतालों में जाकर पैसा व समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा। डाक्टरों ने यह भी कहा कि दोनों मरीजों की फीजियोथ्रेपी भी सिविल अस्पताल में ही होगी। जिसके चंद सप्ताह के बाद दोनों दौडऩे लगेंगे।

आप्रेशन के बाद पीडि़त लौटेंगे अपनी टांगों पर चलकर

अपने परिजनों का सहारा लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे हड्डियों के रोगों से पीडि़त गांव धौला निवासी धीरज और दियालगढ़ निवासी मनप्रीत सिंह दोनों बिना सहारा कहीं भी जाने और चलने-फिरने में असमर्थ थे। बरनाला में आप्रेशन करवाने से पहले दोनों निजी अस्पतालों में जाकर लाखों का खर्च कर चुके हैं। जबकि बरनाला में हुए दूरबीन आप्रेशन के दौरान उनका मात्र दस हजार रुपए का ही खर्च हुआ है। उल्लेखनीय है कि दोनों को पीजीआई चंडीगढ़ में प्रति मरीज 80 हजार रुपए का खर्च होने का एस्टीमेट बताया था। जबकि निजी अस्पतालों के डाक्टरों ने डेढ़ से दो लाख रुपए का खर्च होना बताया था।