टैक्सी चालकों ने की सांकेतिक हड़ताल

बिलासपुर में मांगें न मानने पर रैली निकाल कर जताया रोष

सुरेंद्र जम्वाल। बिलासपुर
टैक्सी चालकों की समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों के विरोध में 22 मार्च को सांकेतिक हड़ताल पर रहे हैं । टैक्सी चालकों ने रोष रैली निकाल कर जिला अध्यक्ष मंगल ठाकुर ने नेतृत्व में उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया है ।यह रोष रैली शाहतलाई, बरठी भराड़ी ,घुमारवी कंदरौर झंडुता व बरमाणा से होकर बिलासपुर तक पहुंची है ।यह हड़ताल राष्ट्रीय परमिट का शुल्क बढ़ाने, पैनिक बटन की अनिवार्यता, चालान के भारी जुर्माने सहित अन्य मुद्दों के विरोध में रही है। यह हड़ताल संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले पूरे देश में आयोजित थी जिसका समर्थन करने के लिए हिमाचल प्रदेश के लगभग एक लाख टैक्सी वाहनों के पहिए भी जाम रहे है जिसका असर देखने को मिला है।

ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने टैक्सी चालकों के हितों पर कुठाराघात किया है जिसको किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा उन्होंने बताया की टैक्सी चालक पहले ही कोरोना की मार झेल रहे हैं उसके उपरांत डीजल व पेट्रोल की बढ़ती कीमतों सहित सरकार द्वारा टैक्सी चालकों पर थोपी गई नीतियों के विरोध में 22 मार्च को पूरे प्रदेश में सभी टैक्सिया खड़ी रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार डीजल पेट्रोल की बड़ी कीमतें वापिस ले, निजी गाडिय़ों के टैक्सी रूप पर मे चलने पर प्रतिबंध हो, चालक-मालक आयोग का गठन हो, चालान की बड़ी कीमतें वापिस हो, नेशनल टैक्स सीट के हिसाब से हो, टैक्सी टेंडर में ठेकेदारी प्रथा बन्द हो, चालान की बड़ी राशि कम हो, चालान के नाम पर लूट बन्द हो, ओला उबेर जैसी कम्पनियों पर पूर्ण प्रतिबंद हो, घटा हुआ नेशनल परमिट अवधि कम से कम 15 साल हो, हर यूनियन को ऑफिस और पार्किंग की सुविधा दी जाए। सरकार ने टैक्सी का सालाना टैक्स बढ़ाकर 26000 व 13 सीटर गाडी का 75000 कर दिया है जो बहुत ही भारी-भरकम है इसके अलावा नेशनल परमिट जो 12 वर्ष के लिए दिया जाता था उसको भी 8 साल के लिए कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस प्रकार की नीतियां थोपकर टैक्सी चालकों की कमर को तोडऩे का काम किया है । मंहगाई से पहले ही टैक्सी चालकों को परिवार का पालन पोषण करने के लिए दो वक्त की रोटी के लाले पड़ रहे हैं बावजूद इसके सरकार उन पर गलत नीतियां थोप कर उनका रोजगार छीन रही है। ऑपरेटरों ने सरकार को धमकी दी है कि यदि इसके बाद भी सरकार ने उपरोक्त सभी समस्याओं का हल नहीं किया बड़े हुए टेक्स को वापिस नहीं लिया तो देश भर में समस्त टैक्सी ऑपरेटर सड़कों पर उतर कर चक्का जाम करने से भी गुरेज नहीं करेंगे जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।