उज्जवल हिमाचल। डेस्क
12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर छात्रों के साथ शिक्षकों में असमंजस का माहौल है। शिक्षक और छात्र चाहते तो हैं कि बोर्ड परीक्षा हो, लेकिन उनमें कोरोना से संक्रमित होने का भय बना हुआ है। राज्य सरकारों, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अधिकारियों के साथ ही प्रधानाचार्य और शिक्षक भी बोर्ड परीक्षा को आयोजित करने को लेकर तरह-तरह के विकल्प सुझा रहे हैं।
शिक्षकों का मत है कि बोर्ड परीक्षा हर हाल में आयोजित हो। इसके लिए सरकार को चाहे जितनी भी तैयारियां करनी पड़े, क्योंकि रद करना कोई विकल्प नहीं हो सकता। अगर अगले साल भी स्थिति अनुकूल नहीं रही तो परीक्षा रद करने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा। शिक्षकों के मुताबिक सिर्फ सेहत की चिंता को देखते हुए अगर राज्य सरकारें परीक्षा रद करने या उन्हें अधर में लटकाने जैसे सुझाव दे रही हैं तो ये उनकी सिस्टम की कमजोरी को उजागर करेगा। इस समय सभी को परीक्षा को आयोजित कराने को लेकर मजबूत खाका तैयार करने की जरूरत है।
दो पालियों में तीन मुख्य विषयों की परीक्षाएं आयोजित करना उचित बोर्ड की परीक्षा आयोजित कराने को लेकर शिक्षकों का मानना है कि राज्य सरकारों को थोड़ा समय दिया जाए, ताकि वे परीक्षा को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर लें, लेकिन हर हाल में ये तैयारियां जून तक पूरी होनी चाहिए।
किसी सरकार को टीकाकरण कराकर परीक्षा लेनी है तो उसमें फिर देरी न करे, क्योंकि ज्यादा देरी करने से उन्हें कालेज के दाखिले में समस्या होगी। पूसा रोज स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य लक्ष्य वीर सहगल के मुताबिक वैक्सीनेशन के बाद अगर परीक्षा की बात उठ रही है तो इसकी एक डोज छात्रों को जल्द सरकार लगवा सकती है। इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा, लेकिन परीक्षा रद करने का विचार सही नहीं है। उन्होंने कहा कि 50 फीसद छात्रों के साथ बोर्ड परीक्षा को दो पालियों में आयोजित करना सही होगा। इसके साथ ही परीक्षा का समय भी तीन से घटाकर दो किया जा सकता है।
साथ ही दोनों पालियों के बीच में कक्षा को एक बार फिर से सैनिटाइज किया जाए तो संक्रमण का खतरा फिर रहेगा नहीं। वहीं, द्वारका स्थित श्री वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्या नीता अरोड़ा के मुताबिक केवल तीन मुख्य विषयों की परीक्षा आयोजित होना सही रहेगा, क्योंकि बोर्ड में छात्र कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय के होते हैं। सभी के अपने संकाय के कुछ मुख्य विषय होते हैं
और कुछ समान। ऐसे में तीन मुख्य विषयों की परीक्षा आयोजित की जा सकती है, वहीं बचे दो विषयों का मूल्यांकन मुख्य विषयों की परीक्षा में मिले अंकों का औसत निकालकर किया जा सकता है। केवल मुख्य विषयों की परीक्षा होने से परीक्षा केंद्रों में एक साथ सभी संकाय के छात्रों की भीड़ नहीं होगी और संक्रमण का खतरा भी नहीं होगा। इसलिए परीक्षा की डेटशीट भी उसी आधार पर बनाई जाए।
जनकपुरी स्थित मीरा माडल स्कूल की प्रधानाचार्य साधना भल्ला के मुताबिक बोर्ड की परीक्षा को लेकर असमंजस खत्म करने के लिए स्कूलों को छात्रों की मुख्य विषयों की एक परीक्षा कराने का विकल्प देना चाहिए। इसमें जो स्कूल इस परीक्षा को आनलाइन आयोजित कराना चाहता है वह आनलाइन करा ले, जिसे स्कूल में बुलाकर आफलाइन करानी है वो आफलाइन परीक्षा करा ले। फिर उसमें मिले अंकों को बोर्ड को भेजा जा सकता है, ताकि वे इसे आधार बनाकर परिणाम जारी कर सकें।