बिना कमिशन-बिना वैचवाइज रेगुलर कर दिए 10156 शिक्षक

प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ का आरोप, सरकार ने किया भर्ती नियमों का उल्लंघन

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ ने आज आनलाईन बैठक की, जिसमें संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह मनकोटिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह, उपाध्यक्ष संजय राणा, अजय रत्न, अतिरिक्त महासचिव लेख राम, सचिव स्वरुप कुमार, मुख्य संगठन सचिव पुरुषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार, प्रैस सचिव प्रकाश चंद, संगठन सचिव यतेश शर्मा, हरिंद्र पाल, आडिटर सुधीर शर्मा, रणयोध सिंह, जिलाध्यक्ष कांगड़ा निर्मल सिंह, जिलाध्यक्ष ऊना रजनी वाला, जिलाध्यक्ष बिलासपुर किशोरी लाल तथा जिलाध्यक्ष मंडी सुरेश कुमार आदि ने भाग लिया।

उन्होंने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार बेरोजगारों को गुमराह करने के लिए पहले संविधान के अनुसार कानून वनाती है और फिर उनके संवैधानिक हक छीनने के लिए इन कानूनों पर अमल नहीं करती। परिणाम स्वरूप बेरोजगारों तथा इनके परिवारों के मानवाधिकारों का पिछले 20 वर्षाें से उल्लंघन हो रहा है। उदाहरण के तौर पर संविधान की धारा 309 के अनुसार नौकरी चाहे केंद्र सरकार की हो या राज्य सरकार की हो प्रदेश के सभी पात्र उमीदवारों को रोजगार के समान अवसर मिलने चाहिए। यही कारण था सरकार ने संविधान की धारा 309 के अनुसार शिक्षकों के लिए भर्ती नियम बनाएं, जिनके अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती या तो कमिशन से हो सकती है या वैचवाईज हो सकती है।

कुछ माह पहले सरकार ने भर्ती नियमों का उल्लंघन करके 10156 शिक्षक बिना कमिशन, बिना वैचवाईज नियमित कर दिए, जिसके कारण 22 वर्ष से कमिशन और वैचवाईज भर्ती का इंतजार कर रहे 12000 पात्र उमीदवार रोजगार से वंचित हो गए। अब यह 12000 परिवार बिना वेतन से दाने-दाने को मोहताज है। इस धांधली के बाद सरकार ने 2555 एसएमसी शिक्षकों की बिना कमिशन बिना वैचवाईज स्टाप गैप अरेंजमैंट के नाम पर एसएमसी पॉलिसी के तहत भर्ती कर दी। साथ ही बेरोजगारों को गुमराह करने के लिए एसएमसी पॉलिसी में कुछ शर्तों का प्रावधान कर दिया। जैसे कि एसएमसी शिक्षकों को हर शैक्षणिक सत्र के बाद नियमित शिक्षकों से रिप्लेस किया जाएगा।

सरकार ने एसएमसी पॉलिसी की इन शर्तों का पालन 2012 से 2020 तक नहीं किया। वस्तुस्थिति को देखते हुए माननीय हाईकोर्ट ने 2555 एसएमसी शिक्षकों की भर्तीयां 14 अगस्त, 2020 को रद्द कर दीं। सरकार कोविड का बहाना बना कर सुप्रीम कोर्ट चली गई। अब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कोविड के कारण, नियमित शिक्षक की भर्ती नहीं होने के कारण तथा विद्यार्थियों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए सरकार को आदेश दिए हैं कि नियमित शिक्षक आने तक अस्थायी शिक्षकों की सेवाएं एसएमसी पॉलिसी के तहत ली जाएं।

इसलिए एसएमसी पालिसी के अनुसार बेरोजगार संघ सरकार से आग्रह करता है कि बेरोजगार अध्यापकों तथा उनके परिवारों के मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए एक माह के भीतर 554 टीजीटी को तथा 396 पीजीटी को एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर तैनात करें, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों के विद्यार्थियों को स्थायी शिक्षक मिल सकें, जो उनका जन्म सिद्ध अधिकार है। 554 टीजीटी की 15 अक्तूबर, 2020 को काउंसलिंग हो चुकी है तथा 396 पीजीटी की अंतिम परीक्षा 23 अगस्त हो चुकी है। अर्थात इन भर्तियों में अब कोविड रुकावट नहीं है। प्रदेश की जनता जानती है कि विद्यार्थियों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा या तो कमिशन पास किए शिक्षक उपलब्ध करवा सकते हैं या सिनियारिटी से नियुक्त हुए शिक्षक उपलब्ध करवा सकते हैं।

ज्ञात रहे शिक्षकों की पदोन्नति सिनियारिटी के आधार पर होती है। बेरोजगार अध्यापकों के पास प्राईवेट स्कूलों मे पढ़ाने का 20 वर्ष से अधिक का तजुर्बा है, जो विद्यार्थियों के काम आएगा। अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा पाना जनता का अधिकार है। क्योंकि शिक्षकों, विधायकों तथा मंत्रियों का वेतन जनता की ही जेब से जाता है। 2555 एसएमसी शिक्षकों को 2000 से लेकर 2020 तक जितनी भी नियुक्तियां कमिशन या वैचवाईज के माध्यम से हुईं हैं, उन सभ में नियमित शिक्षक वनने के समान अवसर मिल चुके हैं। सरकार प्रदेश की जनता को स्पष्ट करें कि वो किस आधार पर वह एसएमसी शिक्षकों का समर्थन कर रही है। प्रदेश की जनता यह भी जानती है कि विना कमिशन शिक्षकों की भर्तियों का समर्थन करना शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलबाड़ करना है।

यदि 2555 एसएमसी शिक्षक कमिश्न पास नहीं कर सकते, तो इसमें बेरोजगार अध्यापकों का कोई कसूर नहीं है। ऐसे में यदि बेरोजगार अध्यापक बिना वेतन गुजारा कर सकते हैं, तो एसएमसी शिक्षक बिना वेतन गुजारा कैसे नहीं कर सकते। उपरोक्त तथ्यों से यही प्रतीत होता है कि एसएमसी शिक्षकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है, बल्कि बेरोजगार अध्यापकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। सरकार एसएमसी शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने के लिए जनता को यह कह कर गुमराह कर रही है कि सभी एसएमसी शिक्षक दूर दराज के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जबकि यह एक वहुत वड़ा झूठ है।

क्योंकि एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि कुल 781 एसएमसी स्कूल लैक्चर में से 582 स्कूल लैक्चरर गैर कवाईली क्षेत्रों में तैनात हैं। यही नहीं शिक्षा मंत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र में खुलासा किया कि एसएमसी शिक्षक हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में तैनात हैं, जबकि हम सभ जानते हैं कि हमारे प्रदेश में अधिकांश कवाईली क्षेत्र तीन जिलों में पड़ते हैं। यह भी सत्य है कि बहुत से नियमित शिक्षक दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। ज्ञात रहे सरकार नियमित शिक्षकों की भर्ती करते समय हर उम्मीदवार से अंडरटेकिंग लेती है कि वे दूर दराज के क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए तैयार हैं और पहले पांच साल तबादले के लिए आवेदन भी नहीं करेंगे।