हिमाचल के इस किले में दबा पड़ा है अरबों का खजाना, खोजबीन तो हुई कई लेकिन कई बार प्रयास अधूरे

उज्जवल हिमाचल । डेस्क
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चित्र में दिख रहे सुजानपुर के इस महल का निर्माण 1758 में हुआ था। राजा अभय चंद के बाद यहां राजा संसार चंद कटोच का शासन रहा, जिनके शासन काल में कांगड़ा चित्रकला का खूब प्रचार-प्रसार हुआ । कहते हैं राजा संसार चंद इस महल में ज्यादा देर तक नहीं रहे, बाद में उन्होंने आलमपुर लम्बागांव में अपना दरबार बना लिया। सजानपुर के इस महल को खजांची महल भी कहा जाता है कहते हैं यहां अरबों का खजाना दबा पड़ा है जिसकी खोजबीन के कई प्रयत्न किये गये पर असफलता ही हाथ लगी।
राजा संसार चंद के सुजानपुर के इस महल को छोड़कर आलमपुर में बसने के पीछे अनेकों कारण है , उन्हीं अनेकों कारणो में एक कहानी बड़ी रोचक है जिसका उल्लेख प्रोफेसर जय दयाल द्वारा डिस्कवरी आफ कांगड़ा नामक आर्टिकल में किया गया है ,कांगड़ा घाटी से परिचय करवाता यह आर्टिकल सन 1955 में कांगड़ा सेवक सभा दिल्ली की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था जिसका परिचय लेख नोरा रिचर्ड ने लिखा है ।
बताते हैं राजा संसार चंद ने एक डोगरा ब्राह्मण को बचन दिया था कि जब ब्राह्मण की बेटी की शादी होगी तो शादी का सारा खर्चा राजकीय कोष से दिया जायेगा । समय बीता, ब्राह्मण की बेटी बड़ी हुई, राजकोष से सहायता मिलने की आस में ब्राह्मण राजदरबार जा पहुंचा और मदद की गुहार लगाई। राजा उस समय पूजा-पाठ में व्यस्त था, सो उसने अपने दरबारी को हुक्म दिया कि वो ब्राह्मण की समस्या का हल करे। ब्राह्मण के प्रति जो भाव राजा रखता था, वो भाव दरबारी के मन में नहीं थे, उसने ब्राह्मण को बाद में आने की कहकर टाल दिया और उसकी समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया ।
कहते हैं कि ब्राह्मण ने इसे अपना घोर अपमान समझा, और दरबार में ही छुरी से खुद पर बार कर आत्महत्या कर ली। राजा संसार चंद को जब इस बात का पता चला तो वह बड़ा दुखी हुआ ,और सुनाते हैं कि उसके बाद राजा को उठते-बैठते वो मंजर दिखने लगा कि भरी सभा में ब्राह्मण छुरी निकालकर आत्महत्या कर रहा है ।
बार-बार इस दृश्य के सामने आने के कारण राजा बड़ा दुखी हुआ और कहते हैं इसी घटना , दृश्य से क्षुब्ध होकर उसने सुजानपुर को छोड़कर आलमपुर को अपना ठिकाना बना लिया । इस घटना को हुये सदियां बीत गई , लोग आज भी इस घटना को याद करते हैं , आत्महत्या करने वाले उस डोगरा ब्राह्मण के परिवार को आज भी छुरीमार ब्राह्मण के रुप में जाना जाता है ।
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वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी दुर्गेश नंदन की फेसबुक वॉल से
 चित्र – साभार गूगल ।