कोरोना के साथ अब मौसम ने तोड़ी सेब उत्पादकों की कमर

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर
अपनी सेबों की फसल के लिए हिमाचल प्रदेश संपूर्ण विश्व में मशहूर है। जहां एक ओर देश सहित प्रदेश के सेब उत्पादक किसान कोरोना महामारी के कारण समस्या झेल रहे हैं वहीं अब मौसम ने भी किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। प्रदेश में मौसम द्वारा अचानक करवट लेने से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कुछ माह पहले हुई ओलावृष्टि का असर अब देखने को मिल रहा है। किसानों के सेब के बगीचों में एक भी सेब नहीं दिख रहा है इस ओलावृष्टि ने किसानों और बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है और करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका जताई गई है।
  • ओलावृष्टि से सेब के बगीचे रह गए खाली
ऐसा ही हाल मंडी जिला की उपमंडल सुंदरनगर की रोहांडा पंचायत के चौकी, औखल, सकोर, बुलास, खिल, छिछड, पंडार और निहरी तहसील के निहरी व इसके आस-पास के क्षेत्रो में हुई भारी ओलावृष्टि से पेड़ो पर फ्लॉवरिंग ही नहीं हो पाई है। इससे सेब के पेड़ खाली है जिस कारण सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। सेब के बगीचे खाली पड़े है और बगीचे में एक सेब भी नजर नहीं आ रहा है। सेब के साथ दूसरे अन्य गुठलीदार फलों पर भी मौसम की भारी मार पड़ी है। किसानों के अनुसार आज कल पेड़ो में सेब की फसल लहराती दिखती थी और 20 जुलाई के आस-पास सेब को निकालने का कार्य शुरू हो कर सेब बाजारों में पहुंंच जाता था। लेकिन ओलावृष्टि से एक भी सेब पेड़ों पर नहीं दिख रहा है।
  • बागवानों को करोड़ो का नुकसान
जानकारी देते हुए रोहांडा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद व स्थानीय निवासी चंद्रकांत ठाकुर ने कहा कि पिछले कुछ माह पहले क्षेत्र में हुई भारी ओलावृष्टि से पेड़ों में फ्लावरिंग नहीं हो पाई है और अब मौजूदा समय में जहां आजकल पेड़ों पर सेब दिखते थे। लेकिन अब पेड़ पूरी तरह से खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बागवानों का करोड़ो रुपए का नुकसान हुआ है उन्होंने कहा कि बागवान और किसानों के लिए सेब ही आमदनी का एक जरिया होता था, लेकिन पहले आम आदमी के साथ किसानों ने कोरोना संकट की मार झेली है। अब दूसरी ओर ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने प्रदेश सरकार और कृषि विभाग से मांग की है कि क्षेत्र का दौरा कर सेब के पौधों का जायजा लिया जाए और किसानों आर्थिक मदद कर राहत दी जाए।