स्वयंभूनाथ मंदिर देखने रोजाना हजारों की संख्या में आते है देश विदेश के सैलानी

उज्ज्वल हिमाचल। चंबा
हमने अपने दर्शकों को इससे पहले पशुपतिनाथ मंदिर और उसके बाद भगवान विष्णु को समर्पित शिव मंदिर के दर्शन करवाए और आज हम अपने दर्शकों को एक ऐसे मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे है जोकि बोध धर्म से जुड़ी सभी कलाकृतियों को दर्शाता है पर इस मंदिर को लोग स्वयंभूनाथ के नाम से ही जानते है। आपको बता दें, कि यह प्राचीन स्वयंभूनाथ (स्वयम्भू स्तूप) काठमाण्डू नगर के पश्चिम में एक पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन बौद्ध स्तूप है।

बौद्ध धर्म के अनुयायी नेवारी लोगों के दैनिक जीवन में स्वयंभूनाथ का केन्द्रीय स्थान है। यह स्थान उनके लिये सबसे पवित्र बौद्ध स्थल है। तिब्बती लोगों तथा तिब्बती बौद्ध-धर्म के अनुयायियों के लिये बौद्धनाथ के बाद इसका बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व धरोहर में सम्मिलित स्वयंभू विश्‍व के सबसे भव्य बौद्ध स्थलों में से एक है। इसका संबंध काठमांडू घाटी के निर्माण से जोड़ा जाता है। यह स्वयंभूनाथ मंदिर काठमांडू से तीन किलोमीटर पश्चिम में घाटी से लगभग 77 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

माना जाता है कि स्वयंभूनाथ मंदिर की बनावट अन्य सभी मंदिरों की अपेक्षा अलग थलग है। इस मंदिर के चारो तरफ दर्शाई गई भागवान गौतम बुद्ध की आंखे मानो चारों दिशाओं में देख रही हो। सोने जैसी चमक लिए यह है भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित स्वयंभूनाथ मंदिर जिसे देखने रोजाना हजारों की संख्या में देश विदेश के सैलानी आते है। करीब 10, किलोमीटर के दायरे में विकसित इस मंदिर के चारो तरफ छोटे बड़े सैंकड़ो मंदिर विराजमान है। भगवान भोलेनाथ और भगवान गौतम बुद्ध को ही समर्पित है। इन प्राचीन मंदिरों को जो कोई भी देखता है स्तम्भ रह जाता है।

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इन मंदिरों को देखने पहुंचे हिमाचल प्रदेश, पंजाब अमृतसर और फॉर्नर सैलानी इन मंदिरों को देखकर काफी हैरान थे। इन लोगों को जो जानकारी मिली उसके अनुसार इन लोगों ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण एक राजा के द्वारा हुआ था और उस समय एक ज्योति इस मंदिर में प्रज्वलित हुई तो उस समय स्वर्ग से सभी देवी देवता धरती पर आए और उन सभी देवी देवताओं ने उस ज्योति की पूजा अर्चना और फिर उसके बाद ही इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

वैसे तो नेपाल काठमांडू में बहुत सारे मंदिर और भी है जोकि दुनिया की नज़रों से ओझल इसलिए भी है क्योंकि वह मंदिर नेपाल से काफी दूरी लिए हुए है पर नेपाल के साथ लगते गिने चुने मंदिर जिन्हे देखने के बाद इन मंदिरों का निर्माण कब को किसके द्वारा करवाया गया था उसको लेकर और देखने के बाद सभी अचंभित जरूर हो उठते है। यह कहना है इन फॉरनर से आए हुए सेलानियो का जोकि इन बेजोड़ कारागारी पर बेहद हैरान है।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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