भाजपा को बड़ा झटका, टीएमसी में लाैटे उपाध्यक्ष मुकुल रॉय

उज्जवल हिमाचल। कोलकाता

बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद शुक्रवार को भाजपा को एक बड़ा झटका लगा। राज्य में भाजपा के बड़े नेता व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय भाजपा का साथ छोड़कर वापस तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की उपस्थिति में कोलकाता स्थित तृणमूल भवन में उन्होंने पार्टी का दामन थामा। ममता ने पार्टी का झंडा देकर उनका स्वागत किया। मुकुल के साथ उनके बेटे व पूर्व विधायक शुभ्रांशु रॉय भी तृणमूल में शामिल हो गए। दरअसल, चुनाव नतीजों के बाद से ही मुकुल व उनके बेटे के तृणमूल में घर वापसी की लगातार अटकलें चल रही थी।

वे दोनों पिछले कुछ समय से भाजपा से दूरी बनाकर चल रहे थे। आखिरकार तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने तृणमूल में वापसी कर ली। गौरतलब है कि मुकुल, तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं। एक समय मुकुल, ममता बनर्जी के सबसे खास माने जाते थे। हालांकि, मतभेद के बाद सितंबर 2017 में उन्होंने तृणमूल से इस्तीफा दे दिया था और नवंबर, 2017 में उन्होंने भाजपा का झंडा थाम लिया था। मुकुल को इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नदिया के कृष्णानगर उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में भी उतारा था और उन्होंने जीत भी दर्ज की। हालांकि उनके बेटे शुभ्रांशु इस बार बीजपुर से चुनाव हार गए।

इधर, तृणमूल में शामिल होने से पहले मुकुल और ममता बनर्जी के बीच तृणमूल भवन में दोपहर लंबी बैठक हुई। ‌इस बैठक में ममता बनर्जी के भतीजे सांसद व हाल में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किए गए अभिषेक बनर्जी भी मौजूद रहेंगे। गौरतलब है कि इस वक्त भाजपा में ऐसे कई नेता हैं, जो टीएमसी में लौटने की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बंगाल भाजपा में सुवेंदु अधिकारी का कद लगातार बढ़ रहा है। उन्हें नेता विपक्ष भी बनाया गया है। ऐसे में मुकुल रॉय की बेचैनी लगातार बढ़ रही थी, जिसके चलते उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी में लौटने का फैसला किया।

गौरतलब है कि हाल में टीएमसी के वरिष्ठ नेता व सांसद सौगत रॉय ने मुकुल की घर वापसी को लेकर संकेत दे दिए थे। उन्होंने कहा था कि ऐसे कई लोग हैं, जो अभिषेक बनर्जी के संपर्क में हैं और वापस आना चाहते हैं। मुझे लगता है कि पार्टी छोड़कर लौटने वालों को दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है। ये हैं सॉफ्टलाइनर और हार्डलाइनर। सॉफ्टलाइनर वे हैं, जिन्होंने पार्टी तो छोड़ी, लेकिन ममता बनर्जी का कभी अपमान नहीं किया। हार्डलाइनर वे हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी के बारे में सार्वजनिक रूप से बयान दिए। अहम बात यह है कि मुकुल रॉय ने ममता बनर्जी पर निजी तौर पर कोई आरोप नहीं लगाए। ऐसे में उन्हें सॉफ्टलाइनर माना जाता है।