पुराना कांगड़ा में धूमधाम से मनाया तुलसी पूजन दिवस

अंकित वालिया । कांगड़ा
त्रिगर्त दिव्य योग आश्रम ऐतिहासिक नगरी पुराना कांगड़ा में 25 दिसम्बर  को विशेष तुलसी पूजन दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन के लिए सुबह से ही आश्रम के संस्थापक एवं अध्यक्ष योगाचार्य रणजीत सिंह योगी अपने योग साधकों के साथ तुलसी पूजन के लिए पहुँच गये थे। आश्रम के महासचिव एवं केसरिया हिन्दू वाहिनी (मुख्य मोर्चा) जिला कांगड़ा के अध्यक्ष इंजीनियर चन्द्र भूषण मिश्रा अपने सनातन सैनिकों एवं मातृशक्ति के साथ पूजन स्थल पर उपस्थित होकर सनातन धर्म हिन्दू संस्कृति और वैदिक परम्पराओं के अनुसार परम श्रद्धेय रणजीत सिंह योगी और उनकी अर्धांगिनी को पूजन मण्डल में बिठाकर, उनसे प्रथम देव श्रीगणेश, कुलदेवी, ग्राम देवता, क्षेत्रपाल पंच देव व तुलसी माता की पूजा आदि करवाकर नवग्रह पूजन और उसके बाद विधिपूर्वक हवन कुंड की पूजा और तत्पश्चात् हवन कुंड में उपस्थित सभी योग साधकों, केसरिया हिन्दू वाहिनी के सैनिकों एवं मातृशक्ति से तैंतीस कोटि देवी देवताओं के नाम व मन्त्रों का उच्चारण करके आहूतियां डलवाकर, पूर्ण आहूति के बाद आरती तुलसी विष्णु प्रियसी..नमो नम: का जयघोष किया गया । तुलसी पूजन के बाद त्रिगर्त दिव्य योग साधकों और केसरिया हिन्दू वाहिनी के विचारकों ने सनातन धर्म,हिन्दू संस्कृति और वैदिक परम्पराओं को छिन्न-भिन्न होने से बचाने के लिए बच्चों को कान्वेंट स्कूलों से परहेज करके, गुरूकुलों को तबज्जो दी । इस विषय पर अपने विचार रखते हुए केसरिया हिन्दू वाहिनी जिला कांगड़ा अध्यक्ष इंजीनियर चन्द्र भूषण मिश्रा ने कहा कि योगाचार्य रणजीत सिंह योगी ने इस मंच से एलान किया है कि आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश के अन्दर, ऐसे ही अनेकों गुरूकुल तैयार होंगे जो आने वाली पीढ़ी को संस्कारी बनायेंगे और उसके बाद पाश्चात्य संस्कृति और वालीवुड की भ्रष्ट संस्कृति से भारत वर्ष का कोई भी बच्चा आकर्षित न होकर के, हिन्दू संस्कृति को अपनाकर गर्व महसूस करेगा । उन्होंने कहा कि हमारे भीतर हमारे वाप दादाओं के संस्कार हैं जो भारत विभाजन से पूर्व अमृतसर-लाहौर के गुरूकुल में पढ़े हुए थे और उन्हीं की इस अमूल्य धरोहर को त्रिगर्त दिव्य योग आश्रम और केसरिया हिन्दू वाहिनी के मंच से सांझा कर रहे हैं और ताकि जोत से जोत जले और मेरा भारत सनातन धर्म, हिन्दू संस्कृति और वैदिक परम्पराओं की रोशनी से जगमगा उठे ।
लोगों के जन्मदिन मनाने और केक के बीच अपने बच्चे की ही फोटो लगाकर मोमबत्तियां फूंक मारकर बुझाने और उस केक को काटकर मुंह पर लगाने जूठन खाने का एक ट्रेंड चल पड़ा है जो कि एक अशोभनीय परम्परा चल पड़ी है । उन्होंने चिंता जताई कि आखिर हमारा हिन्दू समाज, किस दिशा में जा रहा है और अगर समय रहते इसको रोका नहीं गया तो आने वाली स्थिति बड़ी विकराल एवं भयावह होगी जिसकी कभी हम हिन्दू सनातनियों ने कल्पना भी नहीं की होगी । उन्होंने यह भी कहा कि रूपये के लालच में आकर सनातन धर्म हिन्दू संस्कृति का भी सौदा कर रहे हैं जो कि एक धर्मद्रोह है और उन्हें दूसरी कक्षा का वो सबक याद होना चाहिए जिसमें एक शिकारी कबूतरों को जाल में फंसाने के लिए पहले दाने बिखेरता है।
इस अवसर पर श्रीमद्भागवत गीता के आज अवतरण दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन के माध्यम से आम जनमानस को दिये गये सद्विचारों और सार का महत्व बताया, साथ ही इस शुभ अवसर पर मोक्षदायिनी एकादशी मोक्षदा पर भी उपस्थित बुद्धिजीवी सनातनियों के माध्यम से आम जनमानस का मार्गदर्शन किया। राजनीति के सिद्धांतिक गुरू पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके अवतरण दिवस पर याद किया गया और 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर को इस सप्ताह को वलिदान का सप्ताह मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि परम पूज्य संत गुरू गोविन्द सिंह जी के पूरे परिवार को मुग़लों ने खत्म कर दिया था और लोग खुशियाँ मना रहे हैं, शर्म आनी चाहिए लोगों को। गुरू गोविन्द सिंह जी के दो बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुग़लों ने सनातन धर्म नहीं छोड़ने और मुस्लिम मजहब नहीं अपनाने के लिए मौत की सज़ा देकर जिन्दा दीवार में चिनबा दिया गया था और अजीत सिंह व उसके भाई मुगलों के साथ युद्ध में वलिदानी हो गये थे । सिख धर्म नहीं बल्कि सनातन धर्म का एक पंथ है । उन्होंने आगे बताया कि बैठक के बाद, भजन कीर्तन हुआ और तत्पश्चात् कुंज विहारी जी की आरती हुई और सायंकाल में तुलसी माता की झांकी का कार्यक्रम भी रखा हुआ है।