बेरोजगारी की विभीषका ने धारण किया भयावह रूप : भंडारी

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

कोरोना महामारी देश में लगभग एक करोड़ नब्बे लाख नौकरियों को लील चुकी है। कोविड-19 संक्रमण से पहले ही बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी। देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के अंतर्गत 28 लाख पद खाली चल रहे हैं। नतीजतन बेरोजगारी की विभीषका भयावह रूप धारण कर रही है। देश के युवाओं को भरोसा दिलाया गया था कि हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा होंगी, जो अब तक 12 करोड़ हो चुकी होती, परंतु तस्वीर बिल्कुल विपरीत है। ऐसे में कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां सटीक व प्रासंगिक हैं किकहां तो तय था चिरागां हर एक घर के लिए
कहां चिराग मयस्सर नहीं पूरे शहर के लिए
यह बहुत बड़ी विडंबना है कि भारत सरकार ने पिछले छह वर्ष में कितनी नौकरियां दी। इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं की है, जबकि उज्जवला योजना के तहत दिए सिलिंडर, मुद्रा योजना के अंतर्गत कितनों को वितरित किया गया ऋण, स्वच्छता अभियान के तहत निर्मित शौचालय के आंकड़े जारी किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश भी बेतहाशा बेरोजगारी से अछूता नहीं है।

हिमाचल प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार सूबे के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने के लिए नियमित रूप से रोजगार मेलों का आयोजन करने के वायदे के साथ सत्ता पर काबिज हुई थी, परंतु सत्ता मिलते ही इस ओर कोई सार्थक प्रयास करना भूल गई। नतीजतन प्रदेश के युवा पीढ़ी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। यह शब्द आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कल्याण भंडारी ने प्रेस के नाम जारी एक बयान में कहे। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद हिमाचल के हजारों लोग अपनी रोजी-रोजी गवां चुके हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। करोड़ों रुपए इन्वेस्टर्स समिट पर खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य है।

जयराम सरकार लोगों को बताए कि तीन साल पूरा करने के जश्न मनाने के पीछे मंशा क्या है। भंडारी ने कहा कि जो सरकार 2018-19 के अकादमिक की स्कूली बच्चों को वर्दियां तक उपलब्ध न करवा पाई हो और उड़नखटोले तथा महंगी गाड़ियों में सैर सपाटे में व्यस्त ऐसी निक्कमी सरकार को जश्न मनाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। ऐसे में आम आदमी पार्टी, हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग करती है कि शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार तथ्य व आंकड़े जारी कर जनता को बताए कि अब तक सरकार ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में किए गए वायदे के अनुसार कितने लोगों को रोजगार दिया है। कोविड काल में बेलगाम महंगाई, बिजली के नए कनेक्शन की दरों में बेतहाशा वृद्धि, मीटर रेंट व अनावश्यक शुल्क बसूली व निजी स्कूलों को मनमानी फीस बसूलने की छूट से सरकार का डबल इंजन लोगों के लिए ट्रबल इंजन साबित हो चुका है। प्रदेश की जनता ऐसी सरकार को सबक सिखाने का काम करने के लिए तैयार बैठी है।