NH की अधिसूचना रद्द हाेने पर जलाया केंद्रीय मंत्री का पुतला

सुरिंद्र जम्वाल। बिलासपुर

शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग की अधिसूचना को रद्द करने तथा बाया जुखाला संपर्क मार्ग पर अत्यधिक ट्रैफिक वाली सड़क को टू लेन के अंतर्गत विस्तारीकरण न करने के खिलाफ केंद्रीय मंत्री का पुतला फूंककर अपना विरोध दर्ज कराया। श्रीनैना देवी जी विधानसभा के ब्रह्मपुख -घागस (बाया जुखाला) की सड़क पर तीन सीमेंट कंपनियों तथा हजारों सैलानियों के वाहनों शिमला मनाली तथा धर्मशाला से जोड़ने वाली मुख्य संपर्क मार्ग के विस्तारीकरण तथा टू लेन की पिछले काफी वर्षों से मांग कर रहे हैं।

30 साल से ज्यादा समय से बने पुराने जर्जर पुलों को समय पर ना बदलने से ग्रामीण आक्रोशित:
सड़क की दुर्गति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए तथा उनकी सैलरी तथा अन्य भत्ते बंद किए जाएं। शिमला-मटौर हाई-वे की अधिसूचना को रद्द करने के खिलाफ केंद्रीय मंत्री का पुतला फूंक कर जताया विरोध, जबकि हिमाचल प्रदेश के मौजूदा व पिछले सभी पूर्व व मौजूदा मुख्यमंत्री विधानसभा को आने व जाने के लिए इसी शॉर्टकट सड़क का उपयोग करते हैं, लेकिन मजाल है की स्थानीय आम जनता को राहत देने हेतु मल्टी एक्सेल ट्रकों के ट्रैफिक तथा हादसों पर कोई संज्ञान लिया हो, जबकि सभी बड़े नेता दिल्ली में राजनीतिक पार्टियों तथा बड़े नेताओं की चाटुकारिता करने के लिए हर हफ्ते दिल्ली दौड़ते हैं, लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की जनसमस्या तथा सड़क के विस्तारीकरण की मांग को किसी भी मंच पर उठाने में विफल रहे हैं।

अगर जल्द इस अधिसूचना पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ लोकसभा में जाकर निष्क्रिय व लापरवाह लोकसभा सांसदों की शव यात्रा निकाली जाएगी। जनसमस्याओं को लोकसभा में प्रभावशाली तरीके से उठाने में नाकाम साबित हुए सांसदों के खिलाफ हर स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर बेनकाब किया जाएगा। केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 6 जून, 2016 को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वोट हासिल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के लुभावने विज्ञापनों व वायदों से बेवकूफ बनाया था। हिमाचल दौरे के दौरान इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी।

इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपए का अनुमानित बजट मंजूर हुआ था, जिसमें 5 हजार करोड़ रुपए सिविल वर्क के लिए निर्धारित था। इस प्रोजेक्ट के लिए तीन साल तक अलाइनमेंट सर्वे समेत डीपीआर तैयार की गई। 224 किलोमीटर लंबे मार्ग की दूरी कम करके 180 किलोमीटर तय हुई थी। फोरलेन की चौड़ाई 45 मीटर तथा इसका मुख्य सरफेस 22.50 मीटर होना था। पांचवें चरण में ज्वालामुखी से कांगड़ा तक 100 में से 65 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। शेष 35 हेक्टेयर की प्रक्रिया चल रही थी।
सरकारी खर्चे से चुनावों में वाहवाही लूटने के लिए इस विषय पर खूब झूठे वादे किए थे। “हिमाचल में सरकार हमारी है, अब केंद्र की बारी है” यह नारा देकर हिमाचल के भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाकर अब अपने वादे से पलटकर केंद्रीय कार्यालय में बैठे मंत्री और एसी कमरों में बैठे उच्चाधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश में दुर्घटनाओं में कमी के लिए बनाए जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग शिमला-मटाैर हाई-वे की अधिसूचना को रद्द कर आम जनमानस से धोखा किया है।

टावर लाइन शोषित जागरूकता मंच के राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरणविद व समाज सेवी अधिवक्ता रजनीश शर्मा ने आम जनता सामाजिक संगठनों तथा प्रगतिशील लोगों से अनुरोध किया है कि सभी लोग केंद्र सरकार के इस गलत फैसले के विरोध में जन आंदोलन को तैयार रहें तथा हिमाचल घूमने के नाम पर यहां पर राजनीतिक रैलियां करने आने वाले केंद्र के बड़े नेताओं का हर स्तर पर पुतले जलाकर विरोध किया जाना चाहिए।