हिमाचल सरकार के प्रधान सचिव के खिलाफ होगी विजिलेंस जांच

आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत ने दिए आदेश

उज्जवल हिमाचल। शिमला

हिमाचल सरकार के प्रधान सचिव आईएएस जगदीश चंद शर्मा के खिलाफ स्टेट विजिलेंस आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच करेगी। विजिलेंस को जिला एवं सत्र न्यायाधीश वन शिमला की विशेष अदालत ने जांच के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा है कि जांच एजेंसी तीन माह के अंदर जांच पूरी कर कोर्ट को अवगत कराए। साथ ही जांच में शिकायतकर्ता व अन्य सभी को शामिल किया जाए। पुराने मामले में याचिकाकर्ता की आपत्ति पर हाईकोर्ट ने यह आदेश सुनाया है। शर्मा वर्तमान में सीएम और आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव हैं। दरअसल, आबकारी एवं कराधान विभाग से रिटायर्ड गीता सिंह ने जेसी शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए विजिलेंस का दरवाजा खटखटाया था। विजिलेंस ने जब सुनवाई नहीं की तो गीता कोर्ट चली गईं। कोर्ट ने 17 अक्तूबर, 2015 को शिकायत के संबंध में जांच के आदेश दिए और जांच एजेंसी ने जांच कर 6 जनवरी, 2016 को रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि मामले में कोई सुबूत नहीं मिला है। इस पर शिकायतकर्ता ने 12 जुलाई, 2017 को आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया। अब विशेष अदालत ने गीता की आपत्तियों को आधार बनाते हुए विजिलेंस को विधिवत जांच कर तीन माह में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

शिकायतकर्ता के आरोप

शिकायतकर्ता गीता सिंह का आरोप था कि 2009 से 2013 के बीच आबकारी एवं कराधान आयुक्त रहते भारी भ्रष्टाचार किया और आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर ली। शिकायत में कहा गया कि शर्मा ने शिमला जिले के कोटी में तीस बीघा जमीन बिना सरकार से अनुमति लिए खरीदी। जमीन खरीद भी साठ लाख में दिखाई गई, जबकि यह एक करोड़ से ज्यादा की डील थी। इसके अलावा कई फर्मों को लाभ पहुंचाने, भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और ईमानदारों को परेशान करने जैसे आरोप लगाए गए हैं।

जेसी शर्मा ने शिकायतकर्ता को घेरा

कोर्ट के आदेश के बाद आईएएस जेसी शर्मा ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान ही शिकायतकर्ता एक लाख रुपए की घूस लेते पकड़ी गई। सोलन की अदालत में इसके खिलाफ मामला विचाराधीन चल रहा है। पकड़े जाने के बाद से लगातार गलत आरोप लगाकर शिकायतें कर रही हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाकर भी इसने गलत तथ्यों के बल पर फंसाने की कोशिश की, लेकिन दोनों जगह हार चुकी है। कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं, यह समझ से परे हैं। कानूनी रूप से इस मामले को समझने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।