चकमोह पंचायत के ग्रामीण नहीं करेंगे मतदान 

एसके शर्मा । हमीरपुर
उपमंडल बड़सर के तहत आने वाली ग्राम पंचायत चकमोह पंचायत में प्रधान, उपप्रधान और वार्ड सदस्यों के सभी नामांकन वापस लेने और चुनाव के बहिष्कार के निर्णय के बाद अब जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव को लेकर भी ग्रामीण मुखर हो गए हैं। चकमोह ग्रामीणों ने बीडीसी व जिला परिषद के चुनावों का वहिष्कार का मन बना लिया है। चकमोह पंचायत में रविवार को सघंर्ष समिति चकमोह की एक बैठक हुई। इस बैठक में वरिष्ठ नागरिकों, युवक मंडल के सदस्यों व नामांकन वापिस लेने वाले सभी उम्मीदवारों ने भाग लिया। इस बैठक में जिला परिषद व बीडीसी सदस्य के चुनावों के वहिष्कार को लेकर चर्चा की गई।
सघर्ष समिति के सदस्यों व युवक मंडल के सदस्यों ने कहा कि जब तक प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों की मांगों को लेकर लिखित आदेश प्राप्त नहीं होते हैं। तब तक ग्रामीण ने पंचायत में 19 जनवरी को होने वाले जिला परिषद व बीडीसी चुनाव का भी वहिष्कार करेंगें। सघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि लगभग एक सप्ताह से प्रशासन के लिखित आश्वासन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। प्रशासन द्वारा मौखिक आश्वासनों के आधार पर चुनावों के किसी भी प्रकार के वहिष्कार को वापिस नहीं लिया जा सकता है। सघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही की पहल की गई होती तो बीडीसी व जिला परिषद के चुनावों को लेकर विचार किया जा सकता था। सघर्ष समिति, युवक मडल के सदस्यों व ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि है कि सभी चुनावों का ग्रामीण वहिष्कार करेगें जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। गौर रहे कि चकमोह पंचायत में सरकार ने उनकी अस्पताल की समस्या को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों ने कॉलेज, स्कूल और अस्पताल के लिए कई कनाल भूमि बिना किसी शर्त के सरकार को दी थी। लेकिन किसी भी सरकार ने समस्या को नहीं समझा और आज भी स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।

1980 में उन्होंने अपनी मलकीयत भूमि से 15 कनाल भूमि अस्पताल के लिए दान में दी थी और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने 100 बेड के अस्पताल का शिलान्यास किया था। उसके बाद कई सरकारें आईं व गईं परंतु उन्हें अस्पताल की सुविधा आज तक नहीं मिल पाई। जिस कारण चकमोह पंचायत के प्रधान, उपप्रधानए वार्ड सदस्यों उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस लेकर चुनाव का बहिष्कार किया है।