12 फुट की दूरी से हुए मां बज्रेश्वरी के दर्शन, निराश दिखे श्रद्धालु

अंकित। कांगड़ा
लगभग पौने छह माह के पश्चात कांगड़ा का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता बज्रेश्वरी मंदिर खुलने से श्रद्धालुओं की चिरकाल से चली आ रही मांग पूरी हो गई और आज सुबह से शाम तक लगभग 100 के करीब श्रद्धालुओं ने माता बज्रश्वरी मंदिर में माता की पिंडी के दर्शन दूर से ही किए। सरकार प्रशासन के आदेशानुसार आज से कांगड़ा मंदिर के कपाट तो श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए, लेकिन न तो श्रद्धाुओं, न पुजारियों और न ही मंदिर बाजार के दुकानदारों में कोई जोश दिखाई दिया।

हालांकि सुबह से इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में नजर आए और उन्हें भी बाकायदा तापमान जांच के बाद सेनेटाइज करने के बाद दर्शनों के लिए भेजा गया, लेकिन मंदिर में प्रवेश करने के पश्चात माता की पिंडी से लगभग 12 फुट की दूरी से ही दर्शन करने पड़े, जिससे श्रद्धालुओं में निराशा देखी गई। श्रद्धालुओं का कहना था कि न तो उन्हें माता के पुजारी का आशीर्वाद मिला और न ही माता के चरणों का प्रसाद उन्हें हासिल हुआ। उधर मंदिर बाजार के दुकानदारों ने कहा कि सरकार प्रशासन ने मंदिर के भीतर प्रसाद व चुन्नी इत्यादी ले जाने पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे उनकी दुकानें तो खुलीं लेकिन बिक्री शून्य ही रही। पिछले लगभग छह माह से बेकार बैठे दुकानदार मंदिर खुलने की आस लगाए बैठे थे और उन्हें उम्मीद थी कि प्रसाद इत्यादी की बिक्री से उनकी रोजी रोटी चल पड़ेगी, लेकिन सरकार और प्रशासन की पाबंदी के बाद भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।

वहीं पुजारी वर्ग का कहना है कि प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बैष्णों देवी मंदिर में तो प्रसाद इत्यादि लेकर जाने की अनुमति है लेकिन क्या वजह है कि प्रदेश सरकार ने अपने अलग ही कायदे कानून बनाकर जनता के साथ कुठाराघात कर रही है।मंदिर के ट्रस्टियों, पुजारियों व दुकानदारों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है कि शर्तों के साथ मंदिर के भीतर प्रसाद इत्यादी ले जाने पर लगाया गया प्रतिबंध हटाया जाए, ताकि मंदिर से जुड़ व्यवसायियों को भी राहत मिल सके और श्रद्धालु भी बंद पैकटों का प्रसाद अपने साथ घर ले जा सकें, ताकि उनकी आस्था को भी किसी प्रकार की ठेस न लगे। विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्थानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि अगर सरकार पूरी सवारियों के साथ बसें चला सकती है तो मंदिरों पर इतनी पाबंदियां लगाने का क्या औचित्य है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि मंदिरों में पूजा से जुड़ी सामग्री ले जाने की इजाजत दी जाए।