जंगली फल काफल के पत्तों से ठीक होगा मानसिक रोग, जल्द किया जाएगा व्यवसायिकरण

Wild fruit kafal leaves will cure mental diseases
पहाड़ का राजा जंगली फल काफल

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

हिमाचल प्रदेश में औषधीय फलों व पौधों की भरमार है। जिससे कई तरीके की बिमारियों का इलाज संभव है। ऐसा ही एक जंगली औषधीय फल है काफल, जिसके पत्तों से बना पेस्ट मस्तिष्क पर लगाने से मानसिक रोगों से मुक्ति मिलेगी। कलस्टर विवि मंडी में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान एवं शोधकर्ता डॉ. तारा सेन ठाकुर ने अपने शोध में इन चामत्कारिक गुणों का खुलासा करते हुए काफल के पत्तों से बाम तैयार किया है।

हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले इस जंगली औषधीय फल काफल के पत्तों से बना बाम मस्तिष्क पर लगाने से ही मानसिक रोग दूर भागेंगे। इसके पत्तों में मौजूद रासायनिक गुण बिना किसी हानी के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाते हैं। यही नहीं, इन पत्तों से बना बाम लगाने से बरसों पुरानी माइग्रेन की समस्या भी ठीक हो सकती है।

काफल के पौधों के चामत्कारिक रासायनिक गुणों को मल्टीडिसिप्लेनरी डिजिटल पब्लिशिंग इंस्टीट्यूट में प्रकाशित किया जा चुका है। इससे बनाए गए बाम का सफल प्रयोग विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर किया गया है। अब शोधकर्ता इस शोध को पेटेंट करके इसके बाम के व्यावसायिक इस्तेमाल की तैयारी कर रहे हैं, ताकि मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों को महंगी और घातक साइड इफेक्ट वाली दवाओं से छुटकारा मिल सके।

 

पेट संबंधी रोगों को खत्म करता है काफल

काफल के पत्तों पर अब तक के अध्ययन में पता चला है कि इसमें मायरिकोनोल, प्रोएंथोसायडिन, बीटा-सिटोटेरोल, फ्राइडेलिन, टैराक्सेरोल, मायक्रिडिओल, मायरिकेटिन और मायरिकेटिन-3-रमनोसाइड आदि चिकित्सीय गुण हैं। यह सभी रसायन तंत्रिकाओं को आराम देते हैं। बता दें कि काफल फल में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पेट से संबंधित रोगों को खत्म करते हैं। इस फल से निकलने वाला रस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। इसके निरंतर सेवन से कैंसर एवं स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। कब्ज और एसिडिटी भी दूर होती है।

बेहद ऊंचाई वाली जगहों पर होता है काफल

काफल के पेड़ 1500 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इन पेड़ों पर वर्ष में सिर्फ एक बार ही फल लगता है। अधिक ठंडक और गर्मी वाले इलाकों में काफल के पेड़ नहीं मिलते। यही वजह है कि लोग साल में सिर्फ एक बार मिलने वाले इस फल की खरीदारी के लिए इंतजार में रहते हैं। मंडी समेत प्रदेश के कई इलाकों में मई और जून में इसकी अधिक पैदावार होती है।