नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की ऐसी करे उपासना

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

नवरात्रि पांचवां दिन आज बन रहा ये पूरे दिन ये शुभ योग जानें स्कंदमाता की पूजा विधि शुभ मुहूर्त भोग शुभ रंग व आरती नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान हैं। माता रानी की सच्चे मन से उपासना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। जानें नवरात्रि के पांचवें दिन के बारे में सबकुछ हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा के भक्तों के लिए खास होता है।

नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग.अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से प्रारंभ हो चुके हैं। जो कि 11 अप्रैल को समाप्त होंगे। 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है।

मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप कैसा है ।

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं। यही कारण कि मां को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जानते हैं। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होने की मान्यता है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंदमाता पूजा विधि.

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग

मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माताए पांचवा नाम तुम्हारा आताण्
सब के मन की जानन हारीए जग जननी सब की महतारीण्
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैंए हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैंण्
कई नामो से तुझे पुकाराए मुझे एक है तेरा सहाराण्
कहीं पहाड़ों पर है डेराए कई शहरों में तेरा बसेराण्
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गायेए तेरे भगत प्यारे भगतिण्
अपनी मुझे दिला दो शक्तिए मेरी बिगड़ी बना दोण्
इन्दर आदी देवता मिल सारेए करे पुकार तुम्हारे द्वारेण्
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आयेए तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आईए चमन की आस पुजाने आई।