जयराम सरकार को नींद से जगाएगी आप : रत्नेश गुप्ता

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

आशा वर्कर्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी रत्नेश गुप्ता से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान ज्ञापन सौंप अपनी दिक्कतों से प्रदेश प्रभारी को अवगत करा उनसे अपील की कि आम आदमी पार्टी उनके मुद्दों को प्रमुखता से उठाए। कांगड़ा से जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कल्याण भण्डारी ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल की अगुवाई कर रही सत्या राणटा के अनुसार मौजूदा समय में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 7930 और शहरी इलाकों में 34 आशा वर्कर्स कार्यरत है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में एक आशा वर्कर पर 800 से 1000 की आबादी की जिम्मेदारी है, वहीं शहरी इलाकों में 18,000 से 20,000 की आबादी पर सिर्फ एक आशा वर्कर काम कर रही है।

  • आशा वर्कर्स के प्रतिनिधि मंडल ने की ‘आप’ प्रदेश प्रभारी रत्नेश गुप्ता से मुलाकात
  • ज्ञापन देकर, सरकार की अनदेखी के खिलाफ लड़ाई में मांगी मदद

उन्होंने सूबे की सरकार पर अपनी अनदेखी करने का आरोप लगाया। प्रतिनिधि मंडल के मुताबिक पिछले 4 वर्षों से एक भी नई आशा कार्यकर्ता की भर्ती नहीं हुई है। काम का इतना बोझ होने के बावजूद इन लोगों को समय पर भुगतान नही किया जा रहा है। सरकार जब योजनाओं की सफलता के लिए अपनी पीठ थपथपाती है तब इनका जिक्र तक नही किया जाता।जबकि यही वो महिलाएं हैं जो गांव गांव जाकर सरकारी योजनाओं को लागू कराती है।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश प्रभारी से अपील की आम आदमी पार्टी राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर लंबित रेगुलेशन ऑफ आशा, बिल नंबर 216 को अमलीजामा पहनाने में उनकी मदद करे। प्रदेश प्रभारी रत्नेश गुप्ता ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है की पार्टी आशा वर्कर की मांगों को हर स्तर पर मुखरता और प्रमुखता से उठाएगी। जनता और आशा वर्कर की मांगों को अनसुना करने वाली जयराम ठाकुर सरकार को नींद से भी जगाने का काम आम आदमी पार्टी करेगी। आम आदमी पार्टी पहले से ही आशा वर्कर्स के कोरोना महामारी के दौरान किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उनके मानदेय को लेकर अपनी बुलन्द आवाज़ उठा चुकी है। “आप” प्रवक्ता कल्याण भण्डारी के अनुसार एक तरफ आशा बहिने स्वास्थ्य विभाग में कोरोना संकट से बेहतर तरीके से लड़ाई लड़ कर एक्टिव केस फाइंडिंग, होम आइसोलेशन के मरीजों की देखवाल तथा टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं वहीं पर उन्हें मात्र रोजाना 66 रुपये का मानदेय देकर उनके साथ आर्थिक अन्याय किया जा रहा है। कभी कभार उन्हें प्रोत्साहन राशि देकर चुप करा दिया जाता है। आम आदमी पार्टी आशा वर्कर्स यूनियन के साथ खड़ी होकर सरकार से मांग करती है कि आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारियों के बराबर समान काम के लिए एक समान 18000 रुपये न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाये ताकि उन्हें आर्थिक शोषण से राहत मिल सके व आशा ” बहनें ” सम्मानजनक जीवनयापन कर सकें।