मनरेगा कार्य में लाभार्थी को 14944 रूपए का घाटा

एसके शर्मा। हमीरपुर

कई महीनों से मनरेगा कार्य के तहत सामान के बिल भुगतान न होने से रोशन लाल परेशान हैं। ये मामला है ग्राम बिझड़ी खंड के ग्राम पंचायत चकमोह का है, जिसमें विकास के ढोल, तो बहुत पीटे जाते हैं, मगर तय मनरेगा सामान बिल की अदायगी जनवरी, 2020 से अब तक ग्राम पंचायत ने नहीं की है। मामला केवल बिल अदायगी लटकाने का नहीं है।

यहां रोशन लाल सुपुत्र पाल सिंह को मनरेगा सामान बिल की तय राशि देने से ही पल्ला झाड़ लिया गया है। शिकायत संख्या 287160 के तहत यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर पंचायती राज निदेशक तक चले जाने पर भी पंचायत बिल अदायगी से पीछे हट रही है । मुख्यमंत्री संकल्प हेल्पलाईन के तहत यह मामला दो बार उठाने पर भी पंचायत के प्रतिनिधि व प्रशासन मामले का हल नहीं निकाल पा रहे हैं।
क्या है मामला?

सत्र 2019-20 में ग्राम पंचायत चकमोह में मनरेगा योजना के अंतर्गत रोशन लाल घर के समीप डंगा निर्माण कार्य हेतु 54494 रूपए की राशि स्वीकृत हुई थी, जिसमें से मज़दूरी हेतु 36694 रूपए और सामग्री व्यय हेतु 17800 रूपए का प्रावधान था।इसका प्रमाण पंचायत द्वारा लगाया गया बजट सूचक बोर्ड है, जो कि साफ दर्शाता है कि रोशन लाल सुपुत्र पाल सिंह, वार्ड-5, ग्राम डाकघर चकमोह तहसील ढटवाल जिला हमीरपुर के लिए कार्य कोड संख्या 1303003088/एफपी/80000064508 के तहत हुआ है। यह काम दर्शाई गई तिथियों से विलंब होकर जनवरी माह में पूर्ण हुआ है और उस समय इस बोर्ड को लिखवाने के लिए पेंटर का खर्च भी रोशन लाल से ही दिलवाया गया है।

अब मनरेगा के तहत सामग्री भुगतान के लिए पूर्व निर्धारित राशि 17800 रूपए देने से इनकार कर दिया गया है और इसकी बजाय केवल 2856 रूपए दुकानदार विजय कुमार के खाते में मई,2020 में डाल दिए गए और शेष राशि 14944 रूपए का भुगतान न करते हुए रोशन लाल को ही ये अदायगी करने को कहा गया। रोशन लाल इस निर्माण पर पहले ही बहुत खर्चा अपने जेब से कर चुका है और एक लाख साथ हज़ार के एस्टीमेट को पहले पंचायत ने 54494 रूपए तक ही सीमित किया और अब 2856 रूपए की अदायगी ही निर्माण सामग्री हेतु दी।

प्रार्थी ने जब पंचायत से शेष अदायगी हेतु कहा, तो उसको दिल्ली जाकर न्याय लेने की नसीहत दी गई। पंचायत चकमोह ने अब तक प्रार्थी को बताया है कि 40842.91 रूपए मजदूरी हेतु तय थे, लेकिन पंचायत का अपना लिखा बोर्ड कुछ और ही बताता है। मनरेगा के अधिक मस्ट्लरराेल निकालने के चक्कर में प्रार्थी का नुकसान किया गया और तय राशि से अधिक राशि लेबर अदायगी में लगी। प्रार्थी को पंचायत सचिव रवींद्र कुमार द्वारा हेल्पलाईन में भेजे उत्तर में कहा गया है कि इस काम के लिए तय लागत 35000 रूपए थी और पंचायत बोर्ड बदलकर मामला खत्म कर देगी।

अब सवाल ये है कि इसमें रोशन लाल का क्या कसूर है, जिसको बेवजह 14944 रूपए दुकानदार को भरने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। रोशन लाल को 76 बैग सीमेंट, पूरी सेटरिंग, 18000 रूपए के बजरी, रेत और 6 व्यक्तियों को जेब से लेबर भी देनी पड़ी है और इसके बाद शेष 17800 रूपए का बिल पंचायत ने उससे लेकर दुकानदार को 2856 रूपए ही दिए हैं।

इस तरह रोशन लाल को मनरेगा कार्य से ये घाटा उठाना पड़ा है और बीआरओ बिझड़ी ने मामले की जांच भी की है, मगर अब तक बिल के भुगतान को कोई भी तैयार नहीं है। रोशन लाल ने कहा कि उनको अगर इस राशि का भुगतान 7 दिन में नहीं हुआ, तो वे धोखाधड़ी का केस दर्ज करेंगे और कोर्ट में न्याय की गुहार लगाएंगे।