400 वर्ष पुरानी लुप्त ऐतिहासक धरोहर को सहेजने का कार्य कर रहे गांववासी

16वीं शताब्दी में राजा ने अपनी बेटी के लिए बनवाया था पुल

पंकज शर्मा। ज्वालामुखी

जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी उपमंडल के चंगर क्षेत्र की नाहलियां में स्तिथ दूर-दराज पंचायत घरना में गांववासी लुप्त हो चुकी 400 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने का कार्य कर रहे हैं। 400 वर्ष पहले पत्थर व मात्र चुने रोड़ी से बना एक ऐतिहासिक पुल आज भी इस गांव में सुरक्षित है। लॉकडाउन के दौरान यहां के गांववासियों व बुजुर्गों ने इस ऐतिहासिक धरोहर को साफ किया और इसे पुरानी रौनक में लेकर वापस आए।

ऐसा ही एक और पुल थोड़ी दूरी पर भी स्तिथ है, पर उसके लिए रास्ते का प्रावधान नहीं है। दुर्ग खड्ड पर बना यह पुल पत्थरों की नक्काशी व पुरातन संस्कृति की झलक दिखलाता है। गांववासी इस पुल को सड़क से जोड़ने के लिए 2 किलोमीटर रास्ते का निर्माण भी कर रहे हैं, जहां पर मशीनों द्वारा रास्ते को साफ किया जा रहा है। रास्ते को बनाने के लिए गांववासी व पंचायत सहयोग कर रही है, जल्द ही यह मार्ग तैयार हो जाएगा।

गांववासियों ने सरकार से मांग की है कि इस 400 वर्ष पुरातन ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने का कार्य किया जाए, ताकि इस पुरातन धरोहर के अंश सदा के लिए इतिहास के गवाह बने रहे और आने वाली पीढियां इसको याद रखे गांववासियों संजय राणा, होशियार सिंह, विनोद कुमार, नरेंद्र सिंह, रिशु, उत्तम चंद व विचित्र सिंह आदि ने बताया कि इस पंचायत के लिए श्मशान में जाने के लिए भी रास्ता नही था, किसी की मृत्यु हो जाने पर उसे यहां तक पहुंचाना भी मुशिकल होता था।

अब लॉकडाउन में सभी ने श्मशान तक रास्ते के निर्माण व पुल को भी इसी रास्ते से जोड़ने पर विचार किया। अब पंचायत की सहयोग से इस कार्य को जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। घरना पंचायत के निवासी पूर्व बीडीसी सदस्य संजय राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि 16वीं शताव्दी के लंबागांव जयसिंहपुर के राजा की राजकुमारी की शादी जिला कांगड़ा के हरिपुर में राजघराने के राजकुमार से
हुई थी।

बरसात के दिनों में नदी नाले उफान पर रहते थे और खड्ड आर पार जाना मुश्किल होता था, तब राजा ने इस पुल का निर्माण करवाया, ताकि राजकुमारी को आने जाने में कोई परेशानी न हो। आज भी यह पुल ऐसे ही टिका हुआ है और कुछ वर्ष पहले इसे थोड़ी मरम्मत की आवश्यकता थी, जो कि पंचायत स्तर पर करवाई गई थी। आज भी बरसात के दिनों में पानी इस पुल के ऊपर से गुजर जाता है, पर पुल अभी भी सुरक्षित है।