उज्जवल हिमाचल। डेस्क
टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा नाम दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार है। टाटा समूह को दुनिया के सबसे विशाल कॉरपोरेट घरानों में से एक बनाने में रतन टाटा की भूमिका अहम है। रतन टाटा आज यानी कि 28 दिसंबर को अपना 85वां बर्थडे मना रहे हैं। इस मौके पर हमने एक ऐसे यंग इंटरप्रन्योर से बात की, जिनकी कंपनी में खुद रतन टाटा ने भरोसा जताया। हम बात कर रहे हैं अर्जुन देशपांडेय की।
सवालः आप एक यंग इंटरप्रेन्योर हैं। महज 16 साल की उम्र में आपने स्टार्टअप शुरू किया। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने आपकी कंपनी में क्यों इंवेस्ट किया ? रतन टाटा से पहली बार मुलाकात कब और कैसे हुई ? क्या बात हुई ?
जवाबः जमीनी समस्या का समाधान ढूंढते हुए आम आदमी तक सस्ते दामों में दवाइयां पहुंचाने के महज 16 साल की उम्र में किए गए प्रयास ने जेनेरिक आधार की स्थापना को सम्भव बनाया। निवेश की दिक्क्त के बावजूद ज़ीरो से हमने यह काम शुरू करके धीरे-धीरे आगे बढ़ाया। वो बात है न कि जब हम कुछ अच्छा करते हैं तो हमें अच्छे लोगों का साथ मिलता है। यह मेरे साथ यकीनन हुआ। मेरा पहला टेड टॉक बहुत वायरल हुआ। वह रतन टाटा सर तक पहुंचा। वह उन्हें बहुत पसंद आया। एक दिन उनकी ओर से मिलने का प्रस्ताव आया।
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मैं यह जानकर दंग रह गया था। तब मात्र 10 फ़्रेंचाइजी थे ख़ास कुछ था नहीं। पहली मुलाक़ात में मैं बहुत नर्वस था। वह मुलाक़ात केवल 10-15 मिनट की थी। उनके सामने बैठ जो बचपन से उन्हें देखने का सपना था वो पूरा हो रहा है ऐसा यक़ीन ही नहीं हुआ। उन्होंने मुझे इतना सहज कर दिया कि लगा नहीं मुझे कि वे इतने बड़े उद्योगपति हैं। उनकी सरलता, लोगों के लिए सहजता बहुत ज्यादा है।
जब मैंने उन्हें जेनेरिक आधार के बारे में बताया तो उनका कहना था कि अर्जुन ये देश की दिशा बदल देगा, आम आदमी के हित में यह समूचे ईकोसिस्टम को बदल देगा। तो मुझे लगता है कि आज देश बदल रहा है और जेनेरिक आधार के माध्यम से हम उनका सपना पूरा कर सकते हैं। न उन्होंने मेरी कम्पनी को अपना आशीर्वाद दिया बल्कि निवेश भी किया।