सेब के पैकिंग मटेरियल महंगा होने से बर्बाद हो रहे बागवान : अनिंदर सिंह

उज्जवल हिमाचल। शिमला

आम आदमी पार्टी के किसान विंग के प्रदेशाध्यक्ष अनिंदर सिंह नाटी ने सेब के पैकिंग मटेरियल के महंगा होने पर सरकार को घेरा। नार्टी ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार किसान-बागवान विरोधी है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण सेब के पैकिंग मटेरियल के दाम बहुत बढ़ गए हैं जिससे बागवान बर्बाद होने की स्थित में है। लेकिन बागवान विरोधी सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। नाटी ने कहा कि सेब के पैकिंग के चार्ज 300 रुपए प्रति पेटी से अधिक हो गए हैं। इसके साथ ही खाद और दवाओं के रेट भी बहुत अधिक है। भाजपा सरकार के समय बढ़ी महंगाई की मार सबसे अधिक बागवानों पर पड़ रही है। जिससे बागवान अब बर्बाद हो रहे हैं। अपने मांगों को लेकर बागवान पिछले 15 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। नार्टी ने कहा कि सरकार को तत्काल सेब के पैकिंग मटेरियल पर जीएसटी कम करने या फिर सब्सिडी देकर बागवानों को राहत प्रदान करनी चाहिए।

किसान और बागवान विरोधी है भाजपा सरकार, आम आदमी पार्टी का बागवानों के आंदोलन को पूरा समर्थन

केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार को किसान और बागवानों की विरोधी बताते हुए आप प्रवक्ता विक्रांत सूद ने कहा कि आम आदमी पार्टी पूरी तरह किसानों के साथ खड़ी है। भाजपा सरकार की नीतियों के कारण ही आज महंगाई अधिक है। जिससे बागवानों को अपने सेब के पैकिंग का खर्चा अधिक उठाना पड़ रहा है। बीजेपी किसान विरोधी पार्टी है हमने पहले भी देखा था बीजेपी किसानों के लिए काले कानून लेकर आई थी। जिसका विरोध किसानों ने किया था। किसानों ने काले कानून के खिलाफ आंदोलन किया और काले कानून को इस तानाशाह सरकार से वापस करवाया।बीजेपी ने कभी किसानों के हित में नहीं सोचा। जयराम ठाकुर ने भी किसान विरोधी काले कानून का समर्थन किया था और वहीं आज हिमाचल के किसानों और बागवानों की साथ कर रहे है।

सरकार ने बागवानों की आय नहीं, खर्चे दोगुने कर दिए, ट्रे का 400 को बंडल 800 में मिल रहा

अनिंदर सिंह नार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने वायदा किया था कि वह 2022 तक किसानों-बागवानों की आय दुगनी कर देंगे लेकिन सरकार ने महंगाई बढ़ाकर बागवानों के खर्च दुगने कर दिए और आय आधी कर दी। जिससे साबित होता है कि यह सरकार पूरी तरह बागवानी विरोधी है। हिमाचल में आजादी के बाद कभी भी कार्टन और ट्रे के दाम में इतना इजाफा कभी नहीं हुआ। मोहन फाइबर की क्वालिटी ट्रे बीते साल 5 रुपए मिलती औऱ अब एक ट्रे के लिए 8 रुपए मिल रही है। सेब की पैकिंग के लिए प्रति पेटी छह से सात ट्रे लग जाती है। यानी 48 से 54 रुपए ट्रे के प्रति पेटी और इसके अलावा 80 रुपए की पेटी लग रही है। कार्टन, ग्रेडिंग, पैकिंग, भाड़ा मिलाकर 20 से 25 किलो की पेटी को मंडी तक पहुंचाने में 300 से 400 रुपए तक की लागत आ रही है। भाजपा सरकार ने कार्टन पर जीएसटी की दर 12 से बढ़ाकर 18 कर दिया है । जिससे कार्टन की कीमतों में बेतहाशा बढ़ौतरी हुई है। 100 ट्रे का जो बंडल बीते साल 450 से 550 रुपए मिल रहा था। इस बार इसकी कीमत 700 से 800 रुपए प्रति बंडल मिल रहा है। यानी अधिकतम 250 रुपए प्रति बंडल कीमतें बढ़ी है। इसी तरह बीते साल जो पेटी 53 से 68 रुपए मिल रही थी, इस बार उसके लिए 60 से 80 रुपए देने पड़ रहे है। पेटी के दाम भी अधिकतम 12 रुपए बढ़े हैं।20 साल पहले भी 1000 से 2000 रुपए के बीच बिकती थी, तब एक पेटी तैयार करने पर 30 से 35 रुपए की लागत आती थी। आज भी सेब के दाम 1000 से 2000 के बीच ही मिलते है, जबकि लागत 300 से 400 रुपए प्रति पेटी हो गई है

पूर्व में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर भाजपा सरकार के समय ही लाठियां और गोलियां बरसाई गईं थी

अनिंदर सिंह नार्टी ने भाजपा सरकार को बागवान विरोधी करार देते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने कभी भी बागवानों के हितों के लिए काम नहीं किया है। पूर्व में 1990 में भी बागवानों के साथ एक भद्दा मजाक हुआ था जब सेब का समर्थन मूल्य मात्र 25 पैसे बढ़ाया गया था। जब बागवानों ने इसका विरोध किया तो पूरे उपरी हिमाचल के किसानों पर लाठी गोली डंडे गरम पानी तक इस्तेमाल किया गया। शिमला किसानों बागवानों की कराहों का गवाह बना तो कोटगढ में तीन किसान पुलिस की गोली के शिकार बने आज किसानों के साथ फिर वही मजाक हो रहा बल्कि तब से कहीं ज्यादा। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी की सरकारें आई और गई पर जिस मुद्दे पर इनकी शहादत हुई वो प्रश्न आज भी जस के तस हैं। इनको इंसाफ नहीं मिला। भाजपा सरकार के पिछले साढ़े चार साल किसानों बागवानों के लिए निराशा भरे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं किया आयात शुल्क बढ़ाने का वायदा पूरा, सेब को नहीं दिया विशेष उत्पाद का दर्जा

आप के किसान विंग के प्रदेशाध्यक्ष अनिंदर सिंह नार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वायदा 2014 में किया था लेकिन वह आज तक पूरा नहीं हुआ है। देश में विदेशी सेब के आने से हिमाचल के बागवानों को सेब के दाम कम मिलते हैं। सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने ने का वायदा 2014 में प्रधानमंत्री ने सोलन और पालमपुर में किया था उल्टा आयात शुल्क घटा दिया है। 2016 में मुंबई के इलावा 6 और बंदरगाह सेब आयात और क्वारंटाइन टेस्टिंग के लिए खोल दी गई और नतीजतन सेब का आयात कई गुना बढ़ गया। विदेशों से अफगानिस्तान के जरिए और चीन ईरान से घटिया गुणवत्ता का सेब लाकर मार्केट में ग्लट पैदा करके हिमाचल के बागवानों का सेब सस्ते में खरीद जा रहा है। पिछले चुनाव में इन्हीं जुमलेबाजो ने वादा किया था कि सेब को विशेष उत्पाद का दर्जा दिया जाएगा और आयात शुल्क को बढ़ाया जाएगा ताकि ईरान और तुर्की से आ रहे सेबों की कालाबाजारी को रोका जा सके। भाजपा की बागवान विरोधी सरकार ने गैरकानूनी आयात पर रोक लगने के बजाए बढ़ावा दिया है और आयात शुक्ल को कम ही रखा है जिससे ईरान और तुर्की से आने वाले सेबों की कालाबाज़ारी बढ़ती जा रही है।