कैप्टन संजय पराशर की मदद से हुई अभिषेक की वतन वापसी

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

आखिरकार तीन महीने के इंतजार के बाद रक्कड़ तहसील के चौली गांव के अभिषेक की वतन वापसी हो गई और वह रविवार देर शाम को नई दिल्ली में पहुंच गया। अपने देश वापिस पहुंचने के बाद सबसे पहले अभिषेक ने कैप्टन संजय पराशर और रेडियो संस्था (रेस्क्यूइंग एवरी डिस्ट्रेस इंडियन ओवरसीस) का आभार जताया है और कहा है कि अगर पराशर समय पर मदद न करते तो वह मानसिक अवसाद का भी शिकार हो सकता था। दरअसल युवक अभिषेक को एक निजी कंपनी ने काम के लिए दुबई बुलाया था। अभिषेक ने इलेक्ट्रीशियन का डिप्लोमा किया हुआ है।

दुबई पहुंचने के बाद युवक को कंपनी ने कुछ दिन बाद काम देने का भरोसा दिया। इसी दौरान वह बीमार पड़ गया और उसे पेट व कमर में भयानक दर्द उठने लगा। बीमार होने के बाद जो उसके पास पैसा था, वो भी खर्च हो गया। इस दौरान न तो उसे ढंग का खाना मिल पा रहा था और वह अपनी बीमारी का इलाज करवा पाने में भी असमर्थ हो गया। पारिवारिक सदस्यों ने कंपनी के प्रतिनिधियों से भी संपर्क किया और बेटे को भारत भेजने की गुहार लगाई, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद अभिषेक की वापसी नहीं हो पा रही थी। इसी बीच अभिषेक की माता अनीता ने कैप्टन संजय से संपर्क किया और बेटे की मदद का आग्रह किया।

पराशर ने मामले को ध्यान में आने के बाद कोशिशें तेज कर दी। रेडियो संस्था, जिसके कैप्टन संजय उपाध्यक्ष भी हैं, के साथ मिलकर अभिषेक की वतन वापसी की राह सुनिश्चित करवाई। यूएई से फ्लाइट से अभिषेक नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गया। अभिषेक की मदद में कैप्टन संजय के साथ गिरीश पंत, धनश्री पाटिली और अबुथाहिर का भी योगदान रहा। अभिषेक की माता अनीता ने बताया कि जब परिवार जब बेटे की प्रतीक्षा में धैर्य खो चुका था, तब कैप्टन संजय ने किसी देवदूत की भांति उनकी मदद की। इस परोपकार के लिए उनका परिवार कैप्टन संजय का आजीवन आभारी रहेगा। वहीं, दिल्ली में पहुंचे अभिषेक ने बताया कि पिछले तीन महीने उसके जीवन के सबसे बड़ा कटु अनुभव रहे हैं।

इस समयावधि में वह कई बार तो खाने को तरस जाता था तो जब पेट व कमर में दर्द होता था तो ऐसा मालूम होता था कि यह दिक्कत उसकी जान पर बन जाएगी। लेकिन शुक्र है कि परिवार के सदस्यों का कैप्टन संजय से संपर्क हो गया और अब वह अपने देश में सकुशल वापिस लौट आया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन संजय के कारण ही वह अब अपने परिवार से मिलने जा रहा है। संजय पराशर ने कहा कि वह लगातार विदेशों में सफर करते रहे हैं और जानते हैं कि अगर विदेशी धरती पर कोई अकारण फंस जाए तो उसकी मानसिक स्थिति क्या होती है। उनका प्रयास रहता है कि हर ऐसे मामले में त्वरित कार्रवाई व मदद की जाए ताकि किसी अपने को यातना सहने पर मजबूर न होना पड़े।