बिजली बिल में न तय दरें न हिसाब बराबर

एस के शर्मा। हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड में सब कुछ ठीक नहीं है। बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल के नाम पर तगड़े झटके मिल रहे हैं। उपभोक्ता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर बिजली बिल के गड़बड़झाले को कहां से समझना शुरू करें। बिजली दरों के जमा-घटाव से लेकर मीटर रेंट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी हर स्तर पर उपभोक्ता खुद को लुटा हुआ महसूस कर रहे हैं।
लॉकडाउन के बाद आए बिजली बिलों ने उपभोक्ताओं का बजट तो बिगाड़ा ही है, लेकिन बिजली बिलों के गड़बड़झाले को देख उनके होश भी फाख्ता हैं। बिजली विभाग ने इस बार जून 19 से 18 अगस्त तक के बिल उपभोक्ताओं को दिए हैं। एक बिल का उदाहरण लेते हैं। यह बिल है उपमंडल बड़सर की डटवाल तहसील के पपलोहल गांव का। अनंतराम नाम के उपभोक्ता को इस बार 1874 रुपये का बिल थमाया गया। इस बिल में 1863.20 रुपये गत दो महीनों के उपभोग का बिजली बिल है जबकि इससे पिछले महीने का 480 रुपये बकाया बिल बताया गया है। गत दो महीनों में उपभोक्ता ने 430 बिजली यूनिट का उपभोग किया। जिसका बिल 1863.20 रुपये बनाया गया। साथ ही इस बिल पर पूर्व निर्धारित फिक्सड चार्जेस 138.08 रुपये, 29.59 रुपये मीटर रेंट जबकि 55.90 रुपये इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी भी जोड़ी गई है। इस हिसाब से कुल बिल बनता है 2089.77 रुपये। इस बिल पर 683.40 रुपये सब्सिडी के रूप में घटाए गए। इसका कुल बिल बनना चाहिए 1403.37 रुपये। इसमें बकाया के 480 रुपये जोड़े जाएं तो बिल बनना चाहिए 1883.37 रुपये। लेकिन विभाग की बिल रसीद में कुल योग है 1874 रुपये यानि दस रुपये कम। अब विभाग किस कैलकुलेटर से जमा-घटाव कर रहा है समझ से परे है।
वहीं कांग्रेस जिला महासचिव हमीरपुर पवन कालिया ने बिजली विभाग की इस कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने इसे प्रदेश में बिजली बिल के नाम पर हो रहा बड़ा घोटाला करार दिया है। पवन कालिया ने कहा कि उपभोक्ता जितने यूनिट बीजली जलता है उसकी स्लैब दर पर यूनिट बिभाग ने तय की है। लेकिन बिजली बिल में दरें तय करने का कोई और ही फार्मूला अपनाया जा रहा है। इस तरह हर बार बिजली बिल के नाम पर करोड़ों की लूट हो रही है। यह करोड़ों रुपये किसकी जेब में जा रहे हैं यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है।