जब तक लावण्या को न्याय नहीं मिलेगा तब तक जारी रहेगा आंदोलन : एबीबीपी धर्मशाला

अशीष राणा। धर्मशाला

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कांगड़ा की ओर से प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रांत सह मंत्री अभिषेक कुमार ने कहा कि 19 जनवरी 2022 को तंजावुर जिले के सेकर्ड हार्ट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में एक छात्रा स्कूल प्रशासन द्वारा धर्मांतरण के लिए बनाए जा रहे दवाब से तंग आकर कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या की कोशिश करती है व 19 जनवरी को उसकी मृत्यु हो जाती है। आत्महत्या करने पर मजबूर हुई लावण्या को न्याय दिलाने की लड़ाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूरे देश भर के अंदर लड़ रही है। इसी के निमित्त जब 14 फरवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता इस मामले के निमित्त राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री निधि त्रिपाठी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे थे तो सरकार ने बर्बरता पूर्वक कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करते हुए कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया व सरकारी सेवकों पर हमला करने जैसी गैर जमानती धाराएं लगने का कार्य किया। ताकि उन्हें अधिक समय तक गिरफ्तार करके रखा जा सके, जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विरोध करती है।

यह आरोप सरासर गलत है जिसकी पुष्टि उस पूरे प्रदर्शन के वीडियो में देखने को मिलेगी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने किसी भी सरकारी अधिकारी को कोई हानि नहीं पहुंचाई है, किसी भी अधिकारी को कोई खरोच तक इस विरोध प्रदर्शन में नहीं आई है। अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली डीएमके पार्टी की सरकार लावण्या के अंतिम ब्यान के बाबजूद भी कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। जिस तरह से ईसाई मिशनरियों के समर्थन में स्टालिन सरकार खड़ी है यह उनके छदम धर्मनिरपेक्षता को दर्शाता है। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार जिस तरीके से लावण्या की आत्महत्या मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देते है तथा उसे घर के अंतर कलह का नाम देती ही वह यही दर्शाता है कि केवल हिंदू धर्म को कोसना और ईसाई मिशनरी को संरक्षण देने का काम डीएमके की धर्मनिरपेक्षता में आता है। स्टालिन सरकार की धर्मनिरपेक्षता की पोल उस दिन ही खुल गई थी जब इस केस में गिरफ्तार हुई वार्डन की जमानत के बाद तमिलनाडु सरकार के विधायक उसका स्वागत करते हैं। यह घटना स्पष्ट करती है कि डीएमके के लिए धर्म निरपक्षता क्या है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तमिलनाडु सरकार के इस सांप्रदायिकरण के खिलाफ पूरे देश भर के अंदर आंदोलन करेगी। वही झूठी धाराएं लगाकर अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री निधि त्रिपाठी जी सहित अन्य 33 कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग विद्यार्थी परिषद करती है। तमिलनाडु में किसी के लिए न्याय की मांग करने पर शांति पूर्व प्रदर्शन करने पर भी जेल में डाल दिया जाता है। ऐसी तानाशाह सरकार का विद्यार्थी परिषद पुरजोर विरोध करती है। प्रान्त मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करती है जिसमें इस केस की सीबीआई जांच के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए है तथा आशा करती है इस मामले में सीबीआई जल्द से जल्द कार्रवाई करेगी। जिससे जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में अन्य लोगों पर भी कार्रवाई होगी व इस तरीके के वातावरण पर नकेल कसेगी। ताकि किसी भी तरीके से जबरन धर्म परिवर्तन के कारण किसी को अपनी जान गंवानी ना पड़े। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है की इस पूरे मामले में संलिप्त सभी दोषियों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाए तथा लावण्या के न्याय की मांग कर रहे सभी कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए।