भारत को विश्व सिनेमा का केंद्र बनाना सरकार का लक्ष्य: अनुराग ठाकुर

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को भारत को एक विश्व सिनेमा गंतव्य के रूप में बदलने और फिल्मों के पोस्ट-प्रोडक्शन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की बात कही। 52वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ठाकुर ने यह भी कहा कि भारत के अद्वितीय संयोजन, संस्कृति और वाणिज्य के साथ देश वैश्विक सिनेमाई इकोसिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।

भारत को विश्व सिनेमा का केंद्र बनाना सरकार का लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘हमारा लक्ष्य भारत को क्षेत्रीय त्योहारों पर सामग्री निर्माण का एक पावरहाउस बनाना है, विशेष रूप से क्षेत्रीय सिनेमा का और अपने कुशल युवाओं के बीच अपार तकनीकी प्रतिभा का लाभ उठाकर भारत को दुनिया का पोस्ट-प्रोडक्शन हब बनाना है। हमारा लक्ष्य भारत को विश्व सिनेमा का केंद्र बनाना है। फिल्मों और त्योहारों के लिए एक गंतव्य और फिल्म निर्माताओं और फिल्म प्रेमियों के लिए सबसे पसंदीदा जगह है।

युवा लोग ‘ताजा सामग्री निर्माण और नई कथाओं के लिए पावरहाउस’

समारोह में गोवा के राज्यपाल पी।एस। श्रीधरन, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल। मुरुगन ने अभिनेत्री और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी, मशहूर गीतकार प्रसून जोशी, दक्षिणी अभिनेत्री व राजनीतिज्ञ खुशबू सुंदर और फेडरेशन ऑफ फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव रवि कोट्टारकरा के साथ मंच साझा किया।उद्घाटन समारोह की एंकरिंग बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक और टॉक शो होस्ट करण जौहर और टीवी एंकर-कॉमेडियन मनीष पॉल ने की। ठाकुर ने कहा कि भारत फिल्म निर्माण में लगे युवाओं को भुनाने की स्थिति में है। उन्होंने बताया कि ये युवा लोग ‘ताजा सामग्री निर्माण और नई कथाओं के लिए पावरहाउस’ हैं।

भारत की कहानी भारतीयों द्वारा लिखी और परिभाषित की जा रही

ठाकुर ने कहा, ‘मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र भारत द्वारा पेश किए गए तीन अद्वितीय प्रस्तावों पर आधारित है। प्रचुर मात्रा में और सक्षम श्रम, लगातार बढ़ते उपभोग व्यय और एक विविध संस्कृति और भाषाई विरासत आपके पास है और बड़े पैमाने पर संचालित मोबाइल, इंटरनेट और डिजिटलाइजेशन है।

अनुराग ठाकुर ने जोरदार ढंग से कहा कि कनेक्टिविटी, संस्कृति और वाणिज्य के इस अद्वितीय संयोजन के साथ भारत इस सिनेमाई पारिस्थितिकी तंत्र का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। आज, भारत की कहानी भारतीयों द्वारा लिखी और परिभाषित की जा रही है।